जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) और उसके पेरिस समझौते के एक पक्षकार के रूप में भारत ने वर्ष 2015 में अपना प्रथम राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत किया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित दो मात्रात्मक लक्ष्य शामिल थे:
i. अपने सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 2030 तक 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना; और
ii. 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करना।
इन दोनों लक्ष्यों को समय से काफी पहले हासिल किया जा चुका है।
31 अक्टूबर, 2023 तक; गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से संचयी विद्युत स्थापित क्षमता 186.46 मेगावाट है, जो कुल संचयी विद्युत स्थापित क्षमता का 43.81 प्रतिशत है। दिसंबर 2023 में भारत द्वारा यूएनएफसीसीसी को सौंपे गए तीसरे राष्ट्रीय वक्तव्य के अनुसार, 2005 और 2019 के बीच उसके जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता 33 प्रतिशत कम हो चुकी है।
अगस्त 2022 में, भारत ने अपने एनडीसी को अद्यतन किया, जिसके अनुसार अपने जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने का लक्ष्य 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है, और गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से संचयी विद्युत स्थापित क्षमता पर लक्ष्य बढ़ाकर 2030 तक 50 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
***एमजी/एआर/आरके/एसएसप्रविष्टि तिथि: 18 DEC
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