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वर्षांत समीक्षा- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

Environment, Forest and Climate Change Ministry to organize Hariyali  Mahotsav tomorrow

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने सीओपी 28 के अवसर पर ग्रीन क्रेडिट पहल का शुभारंभ किया  

भारत ने अपने एनडीसी को अद्यतन किया, जिसके अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद के सघन उत्‍सर्जन में कटौती करने के मद्देनजर लक्ष्‍य को 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक बढ़ाना; इसके अलावा गैर-जीवाश्‍म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली की निर्धारित क्षमता को 2030 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्‍य
 जी-20 पहल में गांधीनगर कार्यान्वयन प्रारूप और गांधीनगर सूचना मंच (जीआईआर-जीआईपी) के अंतर्गत जंगल की आग और खनन प्रभावित क्षेत्रों की भूमि बहाली पर वैश्विक गठबंधन; संसाधन दक्षता परिपत्र अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन आरईसीईआईसी और सतत एवं सशक्‍त नीली/महासागर-आधारित अर्थव्यवस्था (एचएलपीएसआरबीई) के लिए उच्च-स्तरीय सिद्धांतों की शुरूआत

प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिष्‍टी) के लिए मैंग्रोव पहल का शुभारंभ

बाघ सहित बिग कैट प्रजातियों के वैश्विक स्‍तर पर संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन (आईबीसीए) का प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ

भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार भारत में कुल वन और वृक्षावरण  क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर है यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है

पर्यावरण स्‍वीकृति प्रस्तावों को बढ़ाने के लिए गतिशक्ति पोर्टल का परिवेश 2.0 के साथ एकीकरण

जलवायु परिवर्तन

हरित क्रेडिट कार्यक्रम (जीसीपी)

माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सीओपी-28 के अवसर पर ग्रीन क्रेडिट पहल का शुभारंभ किया गया था। यह पर्यावरण के लिए जीवनशैली अथवा लाइफ आंदोलन के अंतर्गत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। ग्रीन क्रेडिट नियम, 2023 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत 12 अक्टूबर 2023 को अधिसूचित किया गया है। ये नियम स्वैच्छिक पर्यावरणीय सकारात्मक कार्यों को प्रोत्साहन देने के लिए एक व्‍यवस्‍था को स्थापित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप ग्रीन क्रेडिट जारी किए जाते हैं। इसके प्रारंभिक चरण में वन विभाग के नियंत्रण एवं प्रबंधन के अंतर्गत निम्नीकृत भूमि, बंजर भूमि, जलग्रहण क्षेत्र आदि पर स्वैच्छिक पौधरोपण की अवधारणा की गई है।

ग्रीन क्रेडिट नियम, 2023 के अंतर्गत ग्रीन क्रेडिट का सृजन कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम 2023 के तहत प्रदान किये गए कार्बन क्रेडिट से स्वतंत्र रूप से संचालित है।

जीसीपी की शासन व्‍यवस्‍था में संबंधित मंत्रालयों/विभागों, विशेषज्ञों और संस्थानों के संचालन समिति के सदस्य शामिल हैं। भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) को जीसीपी प्रशासक के रूप में नामित किया गया है और यह जीसीपी के कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए उत्‍तरदायी है। जीसीपी की डिजिटल प्रक्रिया में परिचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए समर्पित वेब प्लेटफॉर्म और जीसी रजिस्ट्री भी शामिल है। इन पद्धतियों और दिशा-निर्देशों के अलावा इस प्रक्रिया में पंजीकरण, लेखांकन और जीसी जारी करने की निगरानी सहित जीसीपी की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।

नडीसी लक्ष्यों के मुकाबले भारत की उपलब्धियां -

वर्ष 2015 में प्रस्तुत भारत के प्रथम राष्ट्रीय स्तर के निर्धारित योगदान (एनडीसी) के अनुसार, भारत का निम्नलिखित लक्ष्य था:

2005 के स्तर से 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना; और

2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करना।

ये दोनों लक्ष्य समय से काफी पहले हासिल कर लिए गए हैं। 31 अक्टूबर, 2023 तक, गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से कुल संचयी विद्युत स्थापित क्षमता 186.46 मेगावाट है, जो कुल संचयी विद्युत स्थापित क्षमता का 43.81 प्रतिशत है। 2005 से 2019 के बीच देश में जीडीपी के उत्सर्जन स्‍तर को 33 प्रतिशत कम कर लिया गया है।

भारत ने अपने एनडीसी को अद्यतन किया, जिसके अनुसार उसके सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में सघन उत्‍सर्जन में कटौती करने के मद्देनजर लक्ष्‍य को 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक बढ़ाना है। इसके अलावा गैर-जीवाश्‍म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली की निर्धारित क्षमता को 2030 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्‍य है।  

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 28वां सत्र (सीओपी-28)

भारत के एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने 30 नवंबर' 2023 से 13 दिसंबर' 2023 तक दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 28) के 28वें सत्र में भाग लिया। सीओपी 28 के प्रमुख परिणामों में अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहले से  लिए गए फैसलों पर निर्णय, दशक के अंत से पहले वैश्विक जलवायु महत्वाकांक्षा को बढ़ाना और हानि एवं क्षति निधि के संचालन पर समझौता करना शामिल है। इन वैश्विक प्रयासों को देशों द्वारा पेरिस समझौते और उनकी विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित तरीके से कार्यान्वित किया जाएगा।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लिए भारत के तीसरे राष्ट्रीय संचार को 9 दिसंबर, 2023 को प्रस्तुत किया गया। इस रिपोर्ट में भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन के प्रति इसकी संवेदनशीलता और उत्सर्जन को कम करने तथा अनुकूलन के लिए उठाए जा रहे उपायों की जानकारी शामिल है। जलवायु परिवर्तन पर होने वाले प्रभावों में सर्वाधिक समग्र रूप से मानवजनित उत्सर्जन में ऊर्जा क्षेत्र ने 75.81 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक योगदान दिया है, इसके बाद कृषि क्षेत्र ने 13.44 प्रतिशत, औद्योगिक प्रक्रिया और उत्पाद उपयोग (आईपीपीयू) ने 8.41 प्रतिशत तथा अपशिष्ट ने 2.34 प्रतिशत के साथ योगदान दिया है।

भारत ने यूएनएफसीसीसी के लिए प्रारंभिक अनुकूलन संचार भी प्रस्तुत किया। भारत मिशन मोड में अनुकूलन की दिशा में पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है। अनुकूलन गतिविधियों के व्यापक दायरे को ध्यान में रखते हुए प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में कई नीतियों और उपायों को कार्यान्वित किया गया है। विकासशील अर्थव्यवस्था में सीमित संसाधनों की प्रतिस्पर्धी मांगों के बावजूद, भारत अनुकूलन संबंधी कार्यों पर महत्वपूर्ण मात्रा में संसाधनों का व्यय कर रहा है।

20 अक्टूबर 2022 को मिशन लाईफ का भारत के माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा शुभारंभ किया गया था। 2021 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी सीओपी 26) में, माननीय प्रधानमंत्री ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन कार्रवाई में सकारात्मक सुधार के लिए व्यक्तिगत व्यवहार को अग्रणी रखने के लिए मिशन लाईफ की घोषणा की। लाईफ को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों द्वारा स्वीकार किया गया है, जिसमें आईपीसीसी जलवायु परिवर्तन 2022, जलवायु परिवर्तन शमन कार्य समूह III रिपोर्ट, 2022, शर्म अल-शेख कार्यान्वयन योजना, 2022 मे शामिल निर्णय, साप्पोरो, जापान 2023 में अपनाया गई जी7 विज्ञप्ति, शंघाई सहयोग संगठन विज्ञप्ति, 2023, जी20 लीडर्स डिक्लरेशन, 2023 और 9वां जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी20) एवं संसदीय मंच, 2023 शामिल हैं।

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान: भारत एक व्यापक कूलिंग एक्शन प्लान तैयार करने वाला विश्व का प्रथम देश है, जो अन्य बातों के साथ-साथ 20 वर्ष की निर्धारित समयावधि में कूलिंग की मांग को कम करने, रेफ्रिजरेंट संक्रमण, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बेहतर प्रौद्योगिकी विकल्पों को शामिल करते हुए सभी क्षेत्रों में कूलिंग की दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज ऑउट मैनेंजमैंट प्लान (एचपीएमपी) चरण-II के कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने कठोर फोम के निर्माण में हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी)- 141बी के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और भारत इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाले विकासशील देशों में पहला देश है। 1 जनवरी, 2020 को निर्धारित लक्ष्य से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने 44 प्रतिशत की कमी हासिल की और यह समतापमंडलीय ओजोन परत के संरक्षण में भारत के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

भारत की अध्यक्षता में जी-20 पहलें- पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (ईसीएसडब्‍ल्‍यूजी)2

गांधीनगर कार्यान्वयन रोडमैप और गांधीनगर सूचना मंच (जीआईआर-जीआईपी) के तहत जंगल की आग और खनन प्रभावित क्षेत्रों की भूमि बहाली पर एक वैश्विक गठबंधन की शुरुआत।

संसाधन दक्षता चक्रीय अर्थव्‍यवस्‍था औद्योगिक गठबंधन (आरईसीईआईसी) को भारत की अध्यक्षता में दुनिया भर के निजी क्षेत्र के 40 संस्थापक सदस्यों के साथ शुरू किया गया था।

टिकाऊ और लचीली नीली/महासागर आधारित अर्थव्यवस्था के लिए उच्च-स्तरीय व्‍यवस्‍था (एचएलपीएसआरबीई) को प्रारंभ किया गया। जी-20 देशों ने औपचारिक रूप से 9 व्यापक उच्च-स्तरीय सिद्धांतों को अपनाया। इसमें, एचएलपीएसबीई के अनुसार, नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए समुद्री स्थानिक योजना की तैयारी के लिए बेसलाइन अध्ययन शामिल है। 

21 मई, 2023 को एक विशाल समुद्र तट सफाई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कुल 18 देशों ने भाग लिया। 20 अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तटों पर कुल 3300 स्वयंसेवकों ने भाग लिया और सभी समुद्र तटों से 3593 किलोग्राम कचरा एकत्र किया गया।

वन संरक्षण

देश की रामसर स्‍थलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि: 2014 के बाद से, देश भर में 49 नई आर्द्रभूमियों को रामसर (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) स्थलों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिससे इनकी कुल संख्या 75 हो गई है। वर्तमान में, एशिया में रामसर स्‍थलों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क भारत में है। पर्यावरण दिवस 2023 पर, सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रामसर स्‍थलों के संरक्षण के लिए अमृत धरोहर योजना शुरू की गई है। सभी 75 रामसर साइटों की जीव-जंतु सूची 1 सितंबर 2023 को (जेडएसआई) द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है और 75 रामसर स्‍थलों के लिए पुष्प सूची बनाने की तैयार की जा रही है।

वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023: एनडीसी की देश की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने के लिए, कार्बन तटस्थता, अस्पष्टताओं को खत्म करना और विभिन्न भूमियों में अधिनियम की प्रयोज्यता के बारे में स्पष्टता लाना, गैर-वन भूमि में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना, वनों की उत्पादकता में सुधार लाने के लिए वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 को लागू करके मौजूदा अधिनियम में संशोधन किया गया है। पिछले दो वर्षों के दौरान, वन संरक्षण प्रभाग ने, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत, अनुमोदन की प्रक्रिया को और अधिक कारगर बनाने के लिए लगभग 60 दिशानिर्देश या स्पष्टीकरण जारी किए हैं।

संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में बढ़ोत्‍तरी: देश में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या, जो वर्ष 2014 में 745 थी, बढ़कर 998 हो गई है। यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.28 प्रतिशत है। देश में सामुदायिक आरक्षित क्षेत्रों की संख्या वर्ष 2014 में 43 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 220 हो गई है।

वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि: भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार, भारत में कुल वन और वृक्ष आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत होता है। इसमें से, 2019 की तुलना में, वन आवरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 721 वर्ग किमी की वृद्धि देखी गई है। 2020 की तुलना में, अक्टूबर 2023 तक, 589.70 करोड़ पौधे लगाए गए और कुल 8.77 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वृक्षारोपण के तहत कवर किया गया।

तटरेखा आवास और मूर्त आय के लिए वनस्‍पति गरान पहल (मिश्ती): माननीय प्रधानमंत्री द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2023) पर तटरेखा आवास और मूर्त आय (मिश्ती) के लिए वनस्‍पति गरान पहल शुरू की गई थी। मिष्टी का उद्देश्य भारत और विश्व स्तर पर मौजूदा सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर भारत के तट पर मैंग्रोव पुनर्वनीकरण/वनारोपण उपाय करके "मैंग्रोव वनों का जीर्णोद्धार" करना है। मंत्रालय ने एक प्रस्ताव तैयार किया है और इसे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मिष्टी के तहत धन आवंटन के लिए राष्ट्रीय कैम्‍पा प्राधिकरण को प्रस्तुत किया गया है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, परियोजना परिव्यय के रूप में 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

4.6. ब्लू फ्लैग समुद्र तट: 2014 में, भारत में कोई ब्लू फ्लैग प्रमाणित समुद्र तट नहीं था। भारत सरकार ने समुद्र तट विकास कार्य शुरू किया और 2020 में 8 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्रदान किया गया। 2022 में, कुल 12 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुआ।

परिवेश

परिवेश एक वेब आधारित, भूमिका आधारित वर्कफ़्लो अनुप्रयोग है, जिसे केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों से पर्यावरण, वन, वन्यजीव और सीआरजेड मंजूरी प्राप्त करने के लिए समर्थकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति और निगरानी के लिए विकसित किया गया है। यह प्रस्तावों की संपूर्ण ट्रैकिंग को स्वचालित करता है, जिसमें नए प्रस्ताव को ऑनलाइन प्रस्तुत करना, प्रस्तावों के विवरण को संपादित/अद्यतन करना और वर्कफ़्लो के प्रत्येक चरण में प्रस्तावों की स्थिति प्रदर्शित करना शामिल है।

आधुनिक वेब अनुप्रयोग के साथ परिवेश पर उपयोगकर्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए, मंत्रालय ने ग्रीन क्लीयरेंस पर तेजी से निर्णय लेने और अंत तक मजबूत अनुपालन निगरानी प्रदान करने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन करके और जीआईएस, एडवांस डेटा एनालिटिक्स आदि जैसी उभरती तकनीकी का लाभ उठाते हुए मौजूदा परिवेश (2.0) के दायरे का विस्तार किया है। मौजूदा परिवेश का एक उन्नत संस्करण अद्वितीय मॉड्यूल (अपनी स्वीकृति जानें, अपने ग्राहक को जानें, निर्णय समर्थन प्रणाली आदि) के साथ जोड़ दिया गया है।

परिवेश 2.0 में प्रमुख मॉड्यूल जैसे: श्रेणी ए और बी पर्यावरण मंजूरी प्रस्तावों का शुरू से अंत तक ऑनलाइन प्रोसेसिंग क्रमशः केंद्रीय और एसईआईएए स्तर पर विकसित और शुरू किया गया था। इसके अलावा, अन्य प्रमुख मंजूरी (एफसी/डब्ल्यूएल और सीआरजेड) की सभी प्रमुख कार्यप्रणाली विकसित और शुरू की गई हैं। सीआरजेड मंजूरी में, सभी नौ राज्य तटीय क्षेत्रीय प्रबंधन प्राधिकरण को पहली बार ऑनलाइन आवेदन जमा करने और इसकी प्रोसेसिंग के लिए परिवेश 2.0 में शामिल किया गया था। इसके अलावा, परिवेश 2.0 को गतिशक्ति और राष्ट्रीय सिंगल विंडो पोर्टल के साथ भी एकीकृत किया गया है।

विकल्प 3 प्लस में परिवेश 2.0 के साथ एनएसडब्ल्यूएस का एकीकरण: विकल्प 3 प्लस के तहत परिवेश 2.0 के साथ एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल का एकीकरण अक्टूबर 2023 में पूरा कर लिया गया है। विकल्प 3 प्लस के तहत, उपयोगकर्ता अब एनएसडब्ल्यूएस पर पंजीकरण भी कर सकता है और एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल के माध्यम से परिवेश पर भी जुड़ सकता है। एनएसडब्ल्यूएस पर पंजीकरण विवरण एपीआई आधारित सेवाओं के माध्यम से परिवेश को भेजा जाएगा।

परिवेश 2.0 के साथ गतिशक्ति पोर्टल का एकीकरण: परिवेश पोर्टल और गतिशक्ति पोर्टल मानचित्र सेवा के माध्यम से समेकित रूप से एकीकृत हैं। 5 राज्यों (झारखंड, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और त्रिपुरा के एक जिले) के लिए वन कैडस्ट्राल मानचित्र और गति शक्ति पर नियोजित परियोजनाओं को परिवेश पर सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है। इसी तरह, उपलब्ध लेयर्स (ईसी/एफसी/डब्‍ल्‍यूएल/सीआरजेड अनुमोदित, संरक्षित क्षेत्र सीमा, पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र) के रूप में आंकड़ों को गति शक्ति पोर्टल पर सफलतापूर्वक भेज दिया जाता है। 

वायु गुणवत्ता एवं प्रदूषण

वायु गुणवत्ता में सुधारः राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और पंद्रहवे वित्त आयोग अनुदान के तहत, 131 नॉन-अटेनमेंट सिटीज (ऐसे शहर जिनमें लगातार पांच साल तक वायु की गुणवत्ता खराब रहती है, उन्हें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नॉन-अटेनमेंट सिटी में शामिल किया जाता है) में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है। इन शहरों में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है क्योंकि इन 131 शहरों में पीएम 10 की वार्षिक औसत सांद्रता में उत्तरोत्तर कमी देखी गई है जिसके परिणामस्वरूप अंततः वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण के तहत समग्र दृष्टिकोण के जरिए वायु गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य और योजना के साथ 100 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जाती है।

वायु गुणवत्ता

2019-20

2020-21

2021-22

2022-23

2023-24

आधार वर्ष 2017 की तुलना में वार्षिक पीएम 10 के स्तर में कमी

85 शहरों में सुधार

102 शहरों में सुधार

95 शहरों में सुधार

90 शहरों में सुधार

वित्तीय वर्ष के आधार पर गणना की जाती है इसलिए डेटा  प्रतीक्षित है

सर्कुलर इकोनॉमी

मिशन चक्रीय अर्थव्यवस्थाः चक्रीय अर्थव्यवस्था (सीई) के विकास के लिए और 10 अपशिष्ट श्रेणियों (ली-आयन बैटरी; ई-अपशिष्ट और विषाक्त एवं खतरनाक औद्योगिक अपशिष्ट; स्क्रैप मेटल (लौह एवं अलौह); टायर और रबर; ऐंड ऑफ लाइफ व्हीकल (ऐसे वाहन जो अब वैध रूप से पंजीकृत नहीं रह गए), जिप्सम, प्रयुक्त तेल, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और सौर पैनल) के लिए 11 समितियां बनाई गई हैं। तदनुसार, जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था के मिशन को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित संशोधन किए गए थे।

(i) प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम में 27 अप्रैल 2023 को संशोधन किया गया।

(ii)  प्रयुक्त तेल के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) को 18 सितंबर 2023 को संशोधित किया गया।

(iii) ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम को 30 जनवरी 2023 को संशोधित किया गया।

(iv) बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम को 25 अक्टूबर 2023 को संशोधित किया गया।

(v) अपशिष्ट टायर नियम 2022, 21 जुलाई 2022 से लागू ।

वर्ष 2022-23 के लिए लगभग 3.07 मिलियन टन की कुल प्लास्टिक पैकेजिंग को ईपीआर के तहत कवर किया गया है। अक्टूबर 2023 तक उत्पादक, आयातक और ब्रांड मालिक (पीआईबीओ) पंजीकृत: 31099, पंजीकृत प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसर: 2289

वन्यजीव

चीता का अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण: नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को क्रमशः सितंबर 22 और फरवरी 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया है। देश से 1940 के अंत/1950 के दशक की शुरुआत में चीता विलुप्त हो गया था।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष: अगस्त 2023 में जारी नवीनतम बाघ की गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की 75% से अधिक बाघ आबादी का घर है। बाघ अनुमान (2022) के अंतर्गत उत्कृष्ट श्रेणी वाले 12 बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या 2014 की 2226 से बढ़कर 2023 में 3,682 हो गई है। बाघ सहित वैश्विक बिग कैट के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया गया है।

वनस्पतियों, जीवों और हर्बेरियम दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: बीएसआई और जेडएसआई ने भारतीय जीव-जंतुओं के प्रकार और गैर-प्रकार के नमूनों के 45000 चित्रों के साथ 16500 नमूनों का डिजिटलीकरण किया है। जेडएसआई ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ देश भर के सभी 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से जीव-जंतुओं का दस्तावेज़ीकरण पूरा कर लिया है। 11 आईएचआर राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में 6124 स्प्रिंग्स का डेटा हिमाल जियो पोर्टल पर स्थानिक रूप से ऑनलाइन जियो-टैग किया गया है।

***

एमजी/एआर/एसकेएस/आईएम/एसके/ओपी/एनजे प्रविष्टि तिथि: 22 DEC 2023 by PIB Delhi (रिलीज़ आईडी: 1989591) आगंतुक पटल : 311

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है
पर्यावरण नियमों का अनुपालन नहीं करने के आरोपी लोगों को दण्डित किये जाने की क़ानूनी प्रक्रिया और वर्त्तमान में लागु प्रावधान भी इस वेबसाइट पर प्रकाशित है - इसलिए इस वेब साईट से जानकारी लीजिये और पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यवहारिक तौर पर संभव होने वाली क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण का प्रयास कीजिये

जानिए - पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक क़ानूनी उपाय! जिनका प्रयोग करना पर्यावरण संरक्षण हेतु जरुरी है

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इस वेबसाइट पर उपलब्ध है "पर्यावरण विधि का संकलन" - उल्लेखनीय है कि, हमारी जीवन दायिनी वसुंधरा के संरक्षण के लिए भारत गणराज्य द्वारा अधिनियमित प्रावधानों व नियमों का संक्षिप्त परिचय और विचारणीय पहलुओं को संकलित कर इस वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है तथा इस वेबसाईट पर पर्यावरण अधिनियम और नियम की जानकारी के साथ - साथ आपको... उन सभी कार्यवाही प्रक्रियाओं की भी जानकारी मिलेगी... जो पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यान्वित है

पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट

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पर्यावरण संरक्षण कार्यवाहियों की निगरानी सूचना का अधिकार आवेदन देकर व्यक्तिगत तौर पर करिए क्योंकि पर्यावरण को प्रदूषित कुछ लोग करते हैं और इस दुष्परिणाम सभी जिव, जंतु और मनुष्यों पर पड़ता है

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वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , पंजाब , हरियाणा , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जिला अधिकारियों को पराली जलाने के मामले में अकर्मण्‍य अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार दिया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को फसल की कटाई के मौसम में पराली जलाने को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभाव के कारण पराली जलाना गंभीर चिंता का विषय है और आयोग पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारों , राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , दिल्‍ली सरकार ,  राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों , पंजाब और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और इससे संबंधित संस्थानों सहित संबंधित हितधारकों के परामर्श से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है। 2021 , 2022 और 2023 के दौरान अनुभवों और सीखों के आधार पर , धान की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने की रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान के...

पद्मजा नायडू हिमालयन चिड़ियाघर ने भविष्य के लिए लाल पांडा आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए संरक्षण को बायोबैंकिंग सुविधा के साथ मजबूत किया

  पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क , दार्जिलिंग के रेड पांडा कंजर्वेशन ब्रीडिंग एंड ऑग्मेंटेशन प्रोग्राम को वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जूज़ एंड एक्वेरियम द्वारा 2024 डब्ल्यूएजेडए कंजर्वेशन एंड एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के लिए शीर्ष तीन फाइनलिस्ट में से एक के रूप में चुना गया है। विजेता की घोषणा 7 नवंबर 2024 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के टारोंगो चिड़ियाघर में 79 वें डब्ल्यूएजेडए वार्षिक सम्मेलन में की जाएगी। 2022 और 2024 के बीच , नौ कैप्टिव-ब्रेड रेड पांडा (सात मादा और दो नर) को पश्चिम बंगाल के सिंगालीला नेशनल पार्क (एसएनपी) में छोड़ा गया। रिहा की गई सात मादाओं में से तीन ने जंगल में पाँच शावकों को जन्म दिया। पीएनएचजेडपी ने पश्चिम बंगाल सरकार के वन्यजीव विंग के साथ मिलकर सिंगालीला नेशनल पार्क और दार्जिलिंग डिवीजन में कई आवास बहाली की पहल की है। पीएनएचजेडपी सीसीएमबी , आईआईएसईआर और डब्ल्यूआईआई जैसे संस्थानों के साथ लाल पांडा से संबंधित कई आंतरिक और सहयोगी शोध कार्य कर रहा है।  पीएनएचजेडपी के संरक्षण प्रयास को इसके बायोबैंकिंग और जेनेटिक रिसोर्स सुविधा से और अधिक मजबूती मिल...

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित, मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली , नए एचपीसी सिस्टम का नाम 'अर्का' और 'अरुणिका' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया , नए एचपीसी सिस्टम का नाम ' अर्का ' और ' अरुणिका ' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है  भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित , मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 850 करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। यह परियोजना विशेष रूप से चरम घटनाओं के लिए अधिक विश्वसनीय और सटीक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग है। यह दो प्रमुख स्थलों पर स्थित है - पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ)।   आईआईटीएम सिस्टम 11.77 पेटा फ्लॉप्स और 33 पेटाबाइट स्टोरेज की प्रभावशाली क्षमता से लैस है , जबकि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ सुविधा में 8.2...

पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण

  पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण स्वच्छ भारत अभियान द्वारा संचालित मंदिरों के अपशिष्ट का पुनर्चक्रण , पुष्पों के माध्यम से नौकरियां और स्थिरता सुनिश्चित कर रहा है   अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण   **** एमजी/एआर/एसके ( रिलीज़ आईडी: 2057278) आगंतुक पटल : 46 प्रविष्टि तिथि: 20 SEP 2024 by PIB Delhi    

बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और पर्यावरण संबंधित नियम कानून को जन सामान्य की जानकारी में लाने वाले अमोल मालुसरे के निवेदन पर विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर कार्यवाही करने के लिए पत्र जारी किया है… पढ़िए एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा का सहभागी कदम…

प्लास्टिक वेस्ट मामले में विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर पर्यावरण संरक्षण के लिए पत्र व्यवहार कर छत्तीसगढ़ राज्य को एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त करने की… शासकीय कार्य योजना में योगदान दिया है… पढ़िए शासकीय आदेश  .......... प्लास्टिक कचरा चर्चा में क्यों?   छत्तीसगढ़ राज्य में सिंगलयूज़ प्लास्टिक के विलोपन के लिये गठित टास्क फोर्स की बैठक विगत वर्ष से मंत्रालय महानदी भवन में संपन्न हो रहीं है… इन बैठकों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत एकल उपयोग प्लास्टिक के विलोपन की कार्ययोजना पर व्यापक चर्चा उपरांत कार्य योजना बनाई गई है । श्रद्धा साहू और साथीगण ने बनवाए है कई बर्तन बैंक जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक में कमी आई है बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और उनकी टीम के प्रमुख तरुण साहू  पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान दे रहें जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा में सभी किं साहभागिता बन रही है  विधायक रिकेश सेन का पत्र विलोपन कार्यवाही के प्रम...

छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान देने वाली समाज सेविका निशा ने पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम सभी पर अपनी धरती माँ को बचाने की जिम्मेदारी है जिससे की हमारी धरती माँ एक साफ़ और सुरक्षित जगह बन सके

पार्यावरण का अंधाधुंध दोहन रोको हम अनावश्यक रूप से पर्यावरण के संसाधनों का उपयोग अंधाधुंध रूप से कर रहे हैं और बदले में हानिकारक रसायनों और प्रदूषण के अलावा कुछ भी नहीं दे रहे । ये परिणाम विश्वभर में पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे रहे हैं विडंबना है कि, मनुष्य अपनी धरती माँ को दूषित, प्रदूषित और अपूर्णीय क्षति पहुँचाने के कई कार्य करता है जैसे वनों की कटाई करता है , जैव विविधता का नुकसान पहुंचता है , वायु प्रदूषण करता है , जहरीले रसायनों के प्रवाह करके नदियों को प्रदूषित करता है , अपशिष्ट पदार्थों को फैलाकर गंदगी करता है , प्लास्टिक कचरा फैलाकर मिटटी की उपजाऊ क्षमता को कमजोर करता है , ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत का कमजोर करने वाली गतिविधियाँ करता है , भूमिगत जल तेल गैस भंडार और प्राकृतिक संसाधन जैसे खनिजों का उत्खनन करके भूगर्भीय संरचना , जहरीले गैसों का विकास , हवा में प्रदूषण , धुंध आदि को बढ़ाने का काम मनुष्य करता है |   विकसित देश वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं के लिए अधिक जिम्मेदार हैं सोचिए कि क्या हम कभी भी ऐसे परिवेश में रहना पसंद करेंगे जो खराब या अस्वस्थ में हो स...