पवित्र उपवनों की सुरक्षा
वन्यजीवों और उनके पर्यावास का प्रबंधन मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 राज्य सरकार को जीव-जंतुओं, वनस्पतियों और पारंपरिक या सांस्कृतिक संरक्षण मूल्यों और प्रथाओं की रक्षा के लिए किसी भी निजी या सामुदायिक भूमि को सामुदायिक रिजर्व घोषित करने का अधिकार देता है। पवित्र उपवन आम तौर पर वृक्षों से आच्छादित बहुत छोटे खंड होते हैं, जिन्हें स्थानीय समुदायों द्वारा उनके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए पारंपरिक रूप से संरक्षित किया जाता है और स्थानीय जैव विविधता के संरक्षण में भी योगदान दिया जाता है।
पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान केरल राज्य को कडालुंडी-वल्लिकुन्नु सामुदायिक रिजर्व के लिए 'वन्यजीव पर्यावास का विकास' की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत जारी की गई धनराशि निम्नलिखित है:
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केरल राज्य में मैंग्रोव के विनाश के संबंध में केरल सरकार से अलग से कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। भारत की स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2021 के अनुसार, केरल में 2019 के आकलन से मैंग्रोव कवर में 0.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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एमजी/एआर/आरके प्रविष्टि तिथि: 08 FEB 2024 by PIB Delhi (रिलीज़ आईडी: 2004188) आगंतुक पटल : 57