पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास
संरक्षित क्षेत्रों यानी राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों के आधार पर तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 09 फरवरी, 2011 को जारी 'पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) की घोषणा के लिए दिशानिर्देशों' के अनुरूप घोषित किए जाते हैं। पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) घोषित करने का उद्देश्य विशेष इकोसिस्टम, जैसे संरक्षित क्षेत्रों या अन्य प्राकृतिक स्थलों के लिए किसी प्रकार का "शॉक अब्जॉर्बर" बनाना है और इसका उद्देश्य उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों से कम सुरक्षा वाले क्षेत्रों में ट्रांजिशन जोन के रूप में कार्य करना है। पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) निषेधात्मक प्रकृति के बजाय नियामक प्रकृति के हैं, जब तक कि अधिसूचना में ऐसा निर्दिष्ट न किया गया हो जैसा आवश्यक हो। पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों की घोषणा में ईएसजेड के भीतर रहने वाले स्थानीय समुदाय के व्यवसाय, जिसमें कृषि गतिविधियां, घर निर्माण आदि शामिल हैं, उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
ईएसजेड अधिसूचनाओं में अधिसूचना के प्रकाशन के दो साल के भीतर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा एक जोनल मास्टर प्लान तैयार करने का आदेश दिया गया है। यह योजना पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) के भीतर विकास को विनियमित करने और अधिसूचना के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इसके अतिरिक्त, जोनल मास्टर प्लान ईएसजेड के भीतर स्थित मानव निर्मित या प्राकृतिक संरचनाओं को सूचीबद्ध करने वाले पर्यटन मास्टर प्लान और विरासत स्थलों को शामिल करने का भी आदेश देता है, जिससे संतुलन बनाते हुए स्थानीय समुदायों की आजीविका सुरक्षा का समर्थन करने के लिए संरक्षण और सतत विकास के बीच स्थायी तरीके से पर्यटन गतिविधियों को सुविधाजनक बनाया जा सके।
केद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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एमजी/एआर/आरपी/एमकेएस/ प्रविष्टि तिथि: 22 JUL 2024 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 2035352) आगंतुक पटल : 64