कोयला खदानों और ताप विद्युत संयंत्रों को बंद करने और पुनः उपयोग करने के पर्यावरणीय प्रभाव
पर्यावरणीय प्रभावों के अनुरूप कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) से अनुमोदन के पश्चात ही खदान मालिक द्वारा अंतिम खदान बंद करने की योजना (एमसीपी) के अनुसार कोयला खदान में काम रोका जाता और बंद किया जाता है। काम रोकी गयी/बंद की गई खदान के आसपास के क्षेत्र की हवा, पानी और मिट्टी की गुणवत्ता की निगरानी की जाती है और खदान मालिक को यह सुनिश्चित करना होता है कि बंद करने की योजना में संबंधित खदान से प्रदूषण पर नियंत्रण होना चाहिए। कोयला खदान के बंद होने के बाद, पुनः प्राप्त भूमि को कोयला मंत्रालय के नीति दिशानिर्देशों के अनुसार विभिन्न पुनरुद्देश्य गतिविधियों के लिए पट्टे पर दिया जाता है। ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) को बंद करने के लिए, वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981; खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016; ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2022 ताप बिजली संयंत्रों को बंद करने का निर्णय बिजली उत्पादक कंपनियों द्वारा अपने स्वयं के तकनीकी-आर्थिक और वाणिज्यिक विचारों और पर्यावरणीय कारणों के आधार पर लिया जाता है। बिजली उत्पादक कंपनियां या संबंधित राज्य सरकारें आमतौर पर स्थानीय आवश्यकताओं, भविष्य की परियोजनाओं आदि के आधार पर इन्हें बंद करते समय परियोजना की भूमि के पुन: उपयोग पर निर्णय लेती हैं। इसमें नए ताप बिजली संयंत्रों या किसी अन्य परियोजना की स्थापना के लिए भूमि का प्रयोग बंद करने और पुन: उपयोग करने के न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखा जाता है। यदि परियोजना प्रस्तावक नए ताप बिजली संयंत्र सहित नई परियोजना की स्थापना के लिए जाने का फैसला करता है, तो सक्षम अधिकारियों से मौजूदा नियमों/विनियमों/अधिसूचनाओं के अनुसार आवश्यक स्वीकृति और अनुमति प्राप्त की जाएगी। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने सभी ताप बिजली इकाइयों को 2030 से पहले अपने कोयला आधारित बिजलीघरों (200 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली इकाइयों) को बंद या पुनर्प्रयोजन न करने तथा अपेक्षित ऊर्जा मांग परिदृश्य और भविष्य में क्षमता की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए, यदि आवश्यक हो तो नवीनीकरण और आधुनिकीकरण (आरएंडएम) गतिविधियों को पूरा करने के बाद थर्मल इकाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए परामर्श जारी किया है।
यह जानकारी आज राज्यसभा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक लिखित उत्तर में दी।
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एमजी/एआर/वीएल/एसके प्रविष्टि तिथि: 08 AUG 2024 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 2043123) आगंतुक पटल : 85