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भारत में जल संरक्षण एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है क्योंकि देश जल की कमी और प्रबंधन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहा है। देश में जल संकट को कम करने के लिए जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन हेतु सरकार द्वारा उठाए गए अन्य प्रमुख कदम

 

 जल संचय जन भागीदारी: भारत में जल स्थिरता के लिए समुदाय आधारित पहल की ओर

 भारत में जल संरक्षण एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है क्योंकि देश जल की कमी और प्रबंधन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहा है। 6 सितम्बर, 2024 को गुजरात के सूरत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘जल संचय जन भागीदारी’ पहल की शुरुआत इन चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल के साथ-साथ, भारत सरकार ने जल शक्ति अभियान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) और अटल भूजल योजना सहित अनेक कार्यक्रम लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना है। ये सामूहिक प्रयास प्रभावी भागीदारी, स्थायी कार्य प्रणालियों और व्यापक जागरूकता के माध्यम से भारत के लिए जल-सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं।

‘जल संचय जन भागीदारी’ कार्यक्रम के तहत, वर्षा जल संचयन को बढ़ाने और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राज्य भर में लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री की जल सुरक्षा की कल्पना को आगे बढ़ाने के लिए, 'जल संचय जन भागीदारी' पहल में सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व पर जोर देते हुए जल संरक्षण का प्रयास करना है। यह समाज और सरकार के संयुक्त क्रियाकलापों से प्रेरित है। गुजरात सरकार के नेतृत्व में जल संचय पहल की सफलता के आधार पर, जल शक्ति मंत्रालय ने राज्य सरकार के सहयोग से गुजरात में 'जल संचय जन भागीदारी' पहल शुरू की। दोबारा काम में लाने लायक ये संरचनाएँ वर्षा जल संचयन को बढ़ाने और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होंगी।


देश में जल संकट को कम करने के लिए जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन हेतु सरकार द्वारा उठाए गए अन्य प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:

·        सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) नामक एक योजना क्रियान्वित कर रही है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ जल संरक्षण और जल संचयन संरचनाएं शामिल हैं।

·        15वें वित्त आयोग के अनुदान के अंतर्गत विभिन्न राज्यों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिसका उपयोग अन्य बातों के साथ-साथ वर्षा जल संचयन के लिए किया जा सकता है।

·        जल शक्ति मंत्रालय 2019 से वार्षिक आधार पर जल शक्ति अभियान (जेएसए) लागू कर रहा है। चालू वर्ष में, जल शक्ति मंत्रालय देश के सभी जिलों (ग्रामीण और शहरी दोनों) में जेएसए की श्रृंखला में 5वां जल शक्ति अभियान: कैच द रेन (जेएसए: सीटीआर) 2024 लागू कर रहा है। जेएसए: सीटीआर केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं और फंडों का मिला-जुला रूप है जैसे एमजीएनआरईजीएस, अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (एएमआरयूटी), प्रति बूंद अधिक फसल, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत मरम्मत, नवीनीकरण और बहाली घटक, प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए), वित्त आयोग अनुदान, राज्य सरकार की योजनाएं, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड आदि। अभियान के तहत किए गए प्रमुख हस्तक्षेपों में से एक छत और जल संचयन संरचनाओं सहित वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण और मरम्मत शामिल है।

·        अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) 2.0 में वर्षा जल को जल निकायों (जिसमें सीवेज/अपशिष्ट नहीं आ रहा है) में वर्षा जल संचयन का प्रावधान हैं। ‘एक्विफर मैनेजमेंट प्लान’ की तैयारी के माध्यम से शहरों का लक्ष्य शहरी सीमाओं के भीतर वर्षा जल संचयन में सुधार के लिए रोडमैप विकसित करके भूजल पुनर्भरण वृद्धि की रणनीति बनाना है। आईईसी अभियान के माध्यम से, वर्षा जल संचयन जैसे जल संरक्षण के तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा की जाती है

·        आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राज्यों के लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप उपाय अपनाने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जैसे दिल्ली एकीकृत भवन नियम (यूबीबीएल), 2016, मॉडल भवन नियम (एमबीबीएल), 2016 और शहरी एवं क्षेत्रीय विकास योजना निर्माण एवं कार्यान्वयन (यूआरडीपीएफआई) दिशानिर्देश, 2014, जिनमें वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण उपायों की आवश्यकता पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है।

·        भारत सरकार 7 राज्यों, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 80 जिलों में 8,213 जल संकटग्रस्त ग्राम पंचायतों (जीपी) में अटल भूजल योजना लागू कर रही है। यह योजना भूजल विकास से भूजल प्रबंधन की ओर एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है।

·        सरकार "प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)" को कार्यान्वित कर रही है, जिसका उद्देश्य खेतों तक पानी पहुंचाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत कृषि योग्य भूमि का विस्तार करना, खेतों में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण कार्य प्रणालियों को लागू करना आदि है। पीएमकेएसवाई के तीन घटक/योजनाएं हैं, अर्थात् हर खेत को पानी (एचकेकेपी), जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनरुद्धार (आरआरआर) योजना और सतही लघु सिंचाई (एसएमआई) योजना।

·        जल शक्ति मंत्रालय ने 20.10.2022 को राष्ट्रीय जल मिशन के तहत जल उपयोग दक्षता ब्यूरो (बीडब्ल्यूयूई) की स्थापना की है, जो देश में विभिन्न क्षेत्रों जैसे सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, बिजली उत्पादन, उद्योग आदि में जल उपयोग दक्षता में सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करेगा।

·        हाल ही में मिशन अमृत सरोवर लागू किया गया, जिसमें जल संचयन और संरक्षण के उद्देश्य से देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण/कायाकल्प का प्रावधान है।

·        केन्‍द्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर के पूरे मानचित्रण योग्य क्षेत्र में राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण (एनआईएम) परियोजना पूरी कर ली है। इसे कार्यान्वयन के लिए संबंधित राज्य एजेंसियों के साथ साझा किया गया है। प्रबंधन योजनाओं में दोबारा काम में आने लायक संरचनाओं के जरिये विभिन्न जल संरक्षण उपाय शामिल हैं।

·        सीजीडब्ल्यूबी ने राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के परामर्श से भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान- 2020 भी तैयार किया है, जो एक व्यापक स्तर की योजना है, जिसमें अनुमानित लागत सहित देश की विभिन्न भू-स्थितियों के लिए विभिन्न संरचनाओं को दर्शाया गया है। मास्टर प्लान में देश में लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन और दोबारा काम में आने लायक कृत्रिम संरचनाओं के निर्माण का प्रावधान है, ताकि 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) मानसून वर्षा का दोहन किया जा सके।

·        भूजल प्रबंधन और विनियमन योजना के तहत सीजीडब्ल्यूबी ने अर्थपूर्ण उद्देश्य से देश में कई सफल कृत्रिम पुनर्भरण परियोजनाएं भी कार्यान्वित की हैं, जो राज्य सरकारों को उपयुक्त जल-भूवैज्ञानिक परिस्थितियों में इन्हें दोहराने में सक्षम बनाती हैं।

·        जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय जल नीति (2012) तैयार की गई है, जो अन्य बातों के साथ-साथ वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण की वकालत करती है और वर्षा के प्रत्यक्ष उपयोग के माध्यम से पानी की उपलब्धता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है।

·        भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) देश में वर्षा आधारित और बंजर भूमि के विकास के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) के वाटरशेड विकास घटक को लागू करता है। अन्य बातों के साथ-साथ की जाने वाली गतिविधियों में रिज क्षेत्र उपचार, जल निकासी लाइन उपचार, मिट्टी और नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी बनाना, चारागाह विकास, संपत्तिहीन व्यक्तियों के लिए आजीविका आदि शामिल हैं। डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई, इन हस्तक्षेपों के माध्यम से, बेहतर प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रति किसानों की बेहतर लचीलेपन के माध्यम से स्थायी विकास सुनिश्चित करना चाहता है।

निष्कर्ष

‘जल संचय जन भागीदारी’ पहल इस बात का एक सशक्त उदाहरण है कि कैसे सामुदायिक भागीदारी, सरकारी नीतियों का जबरदस्त समर्थन, जल संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है। हजारों वर्षा जल संचयन संरचनाओं के निर्माण और अमृत 2.0, पीएमकेएसवाई और मिशन अमृत सरोवर जैसी विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं को जोड़ने के साथ, भारत दीर्घकालिक जल सुरक्षा के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहा है। ये प्रयास, सक्रिय नागरिक सहभागिता और स्थानीय समाधानों पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने के साथ जल की कमी को दूर करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्थायी जल प्रबंधन को प्राथमिकता देना और कुशल जल उपयोग को बढ़ावा देना जारी रखते हुए, भारत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक लचीला और जल-सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।

संदर्भ

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2052494#:~:text=To%20further%20the%20Prime%20Minister's,whole%2Dof%2Dgovernment%20approach

https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2035230

https://x.com/JalShaktiAbhyan/status/1242694717747294213/photo/1

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एमजी/एआर/केपी/डीके प्रविष्टि तिथि: 13 SEP 2024 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 2054639) आगंतुक पटल : 142

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