भारत और जापान ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के अंतर्गत संयुक्त ऋण तंत्र (जेसीएम) पर सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
जेसीएम कम कार्बन प्रौद्योगिकियों से जुड़ी परियोजनाओं के लिए निवेश प्रवाह, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण सहायता को प्रोत्साहित करेगा, इसके अलावा उत्पन्न कार्बन क्रेडिट के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी सक्षम बनाएगा
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु
परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के
अंतर्गत संयुक्त ऋण व्यवस्था (जेसीएम) पर जापान सरकार के साथ एक सहयोग ज्ञापन
(एमओसी) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे जलवायु कार्रवाई के प्रति भारत की दृढ़
प्रतिबद्धता का पता चलता है और यह पेरिस समझौते के कार्यान्वयन में एक और मील का
पत्थर है।
इस
महीने की शुरुआत में हस्ताक्षरित एमओसी भारत-जापान सहयोग के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र
- 'बेहतर भविष्य के लिए हरित ऊर्जा फोकस' का हिस्सा है
- जिस पर आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी जापान यात्रा के दौरान
प्रकाश डाला।
भारत
और जापान के बीच आर्थिक,
वाणिज्यिक और सांस्कृतिक सहयोग का एक मज़बूत इतिहास रहा है। वर्तमान
सहयोग ज्ञापन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन शमन पर भारत और जापान के बीच साझेदारी
को मज़बूत करना है। पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के कार्यान्वयन हेतु राष्ट्रीय
नामित एजेंसी (एनडीएआईएपीए) द्वारा अनुच्छेद 6.2 के अंतर्गत अनुमोदित निम्न-कार्बन
प्रौद्योगिकियाँ, 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने
हेतु भारत की दीर्घकालिक निम्न-कार्बन विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक हैं।
वर्तमान
में,
यह रणनीति बहुत खर्चीली है और इसके लिए व्यवहार्यता अंतर निधि की
आवश्यकता है। संयुक्त आयोग (जेसीएम) इन कम कार्बन प्रौद्योगिकियों से संबंधित
परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए निवेश प्रवाह, प्रौद्योगिकी
सहायता, जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण
समर्थन शामिल है, को प्रोत्साहित करेगा। यह निम्न कार्बन
प्रौद्योगिकियों और उपकरणों, मशीनरी, उत्पादों,
प्रणालियों और बुनियादी ढाँचे से संबंधित उच्च प्रौद्योगिकी
हस्तक्षेपों को स्थानीयकृत करने के लिए घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र और साझेदारियाँ
भी विकसित करेगा, जिससे उनके बड़े पैमाने पर उपयोग का मार्ग
प्रशस्त होगा।
यह
सहयोग ज्ञापन भारत में ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) में कमी या निष्कासन तथा सतत
विकास में योगदान देने वाली परियोजनाओं के कार्यान्वयन को और सुगम बनाएगा। यह
पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के अंतर्गत ऐसी परियोजनाओं से उत्पन्न कार्बन
क्रेडिट का जापान और इसी तर्ज पर अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी
संभव बनाएगा,
जिससे भारत की राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) प्रतिबद्धताओं पर कोई
प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को केंद्रीय मंत्रिमंडल से कार्यान्वयन
नियमों (आरओआई) को अंतिम रूप देने और भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों और विदेश
मंत्रालय (एमईए) के परामर्श से पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के तहत इसी तर्ज पर
अन्य देशों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए अनुमोदन भी प्राप्त हुआ है।
****
पीके/केसी/एनकेएस/डीके
प्रविष्टि तिथि: 29
AUG 2025 by PIB Delhi (रिलीज़ आईडी: 2161950)
आगंतुक पटल : 191