सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मानव-वन्यजीव संघर्षों का प्रबंधन- मानव-वन्यजीव संघर्षों के प्रबंधन और शमन के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम


 देश के विभिन्न भागों से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं सामने आई हैं। इन आंकड़ों का मंत्रालय स्तर पर मिलान नहीं किया जाता। मानव-वन्यजीव संघर्षों के प्रबंधन और शमन के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम इस प्रकार हैं:

मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए मंत्रालय द्वारा फरवरी 2021 में एक परामर्शी जारी किया गया है। परामर्शी में समन्वित अंतर्विभागीय कार्रवाई, संघर्ष के हॉटस्पॉट की पहचान, मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन, त्वरित प्रतिक्रिया टीमों की स्थापना, शीघ्र भुगतान के लिए अनुग्रह राहत की मात्रा की समीक्षा करने हेतु राज्य और जिला स्तरीय समितियों का गठन, प्रभावित व्यक्तियों को मृत्यु और चोट की स्थिति में, लगभग 24 घंटे के भीतर त्वरित राहत भुगतान के लिए मार्गदर्शन और निर्देश जारी करने की अनुशंसा की गई है।

    मंत्रालय ने फसलों को होने वाली हानि सहित मानव-वन्यजीव संघर्षों के प्रबंधन के लिए 3 जून 2022 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। दिशानिर्देशों में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का उपयोग करने की सलाह दी गई है। पीएमएफबीवाई के संशोधित परिचालन दिशानिर्देशों के तहत, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जंगली पशुओं के आक्रमण से होने वाले फसल नुकसान के लिए अतिरिक्त कवरेज प्रदान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्‍त, इसमें जंगल के बाहरी क्षेत्रों में उन फसलों को बढ़ावा देना शामिल है जो जंगली पशुओं के लिए अरुचिकर हैं, कृषि वानिकी मॉडल में मिर्च, लेमन ग्रास, खस घास जिन्हें पेड़/झाड़ी प्रजातियों के साथ उपयुक्त रूप से मिश्रित किया जा सकता है, आदि जैसी नकदी फसलें शामिल हैं। इसमें संवेदनशील क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य कृषि/बागवानी विभाग द्वारा वैकल्पिक फसल के लिए व्यापक दीर्घकालिक योजना की तैयारी और कार्यान्वयन भी शामिल है।

    मंत्रालय ने हाथी, गौर, तेंदुआ, सांप, मगरमच्छ, रीसस बंदर, जंगली सुअर, भालू, नीलगाय और काला हिरण से संबंधित मानव-वन्यजीव संघर्षों को कम करने के लिए 21.03.2023 को मानव-वन्यजीव संघर्ष स्थितियों से निपटने के लिए प्रजाति-विशिष्ट दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।

    केंद्र सरकार, केंद्र प्रायोजित योजनाओं, 'वन्यजीव आवासों का विकास' और 'प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलीफेंट' के अंतर्गत वन्यजीवों और उनके आवासों के प्रबंधन के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इनमें व्यापक कार्यकलापों - जैसे जंगली पशुओं द्वारा किए गए उत्पात के लिए मुआवजा और जंगली जानवरों को फसल के खेतों में प्रवेश करने से रोकने के लिए कांटेदार तार की बाड़, सौर ऊर्जा चालित विद्युत बाड़, कैक्टस का उपयोग करके जैव-बाड़, चारदीवारी आदि जैसे भौतिक अवरोधों का निर्माण, क्षमता निर्माण और मानव-वन्यजीव संघर्षों के पीड़ितों को अनुग्रह राशि प्रदान करने के लिए सहायता शामिल है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश मानव-वन्यजीव संघर्षों के कारण होने वाली चोटों सहित पशुधन, फसलों और मानव जीवन की हानि के लिए मानदंडों - जो राज्य दर राज्य अलग-अलग होते हैं - के अनुसार अनुग्रह राशि का भुगतान करते हैं।

    वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत पूरे देश में वन्य जीव और उनके आवासों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण वन्यजीव आवासों को कवर करते हुए राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों, संरक्षण रिजर्वों और सामुदायिक रिजर्वों नामक संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क बनाया गया है।

    वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 11 (1) (क) राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालकों को अधिनियम की अनुसूची-I में आने वाले उन पशुओं के शिकार के लिए परमिट देने का अधिकार देती है जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, अधिनियम की धारा 11 (1) (ख) राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक या किसी भी अधिकृत अधिकारी को अधिनियम की अनुसूची-II के अंतर्गत आने वाले जंगली पशुओं के शिकार के लिए परमिट देने का अधिकार देती है, यदि ऐसे पशु मानव जीवन या संपत्ति के लिए खतरनाक हो जाते हैं।

   vii. वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 33 के अंतर्गत निहित प्रावधानों के अनुसार, मंत्रालय ने संरक्षित क्षेत्रों और अन्य भूदृश्य तत्वों के लिए प्रबंधन योजना की प्रक्रिया हेतु दिशानिर्देश जारी किए हैं।

 मंत्रालय, पूर्व चेतावनी प्रणालियों और आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान-एसएसीओएन जैसे संस्थानों के माध्यम से राज्य वन विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को क्षमता निर्माण सहायता भी प्रदान करता है।

    मानव-वन्यजीव संघर्ष के बारे में आम जनता को संवेदनशील बनाने, मार्गदर्शन देने और सलाह देने के लिए संबंधित राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा मीडिया के विभिन्न रूपों के माध्यम से सूचना का प्रसार करने सहित आवधिक जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

एमजी/केसी/एसकेजे/केके प्रविष्टि तिथि: 21 JUL 2025 by PIB Delhi (रिलीज़ आईडी: 2146410) आगंतुक पटल : 173

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है
पर्यावरण नियमों का अनुपालन नहीं करने के आरोपी लोगों को दण्डित किये जाने की क़ानूनी प्रक्रिया और वर्त्तमान में लागु प्रावधान भी इस वेबसाइट पर प्रकाशित है - इसलिए इस वेब साईट से जानकारी लीजिये और पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यवहारिक तौर पर संभव होने वाली क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण का प्रयास कीजिये

जानिए - पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक क़ानूनी उपाय! जिनका प्रयोग करना पर्यावरण संरक्षण हेतु जरुरी है

जानिए - पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक क़ानूनी उपाय! जिनका प्रयोग करना पर्यावरण संरक्षण हेतु जरुरी है
इस वेबसाइट पर उपलब्ध है "पर्यावरण विधि का संकलन" - उल्लेखनीय है कि, हमारी जीवन दायिनी वसुंधरा के संरक्षण के लिए भारत गणराज्य द्वारा अधिनियमित प्रावधानों व नियमों का संक्षिप्त परिचय और विचारणीय पहलुओं को संकलित कर इस वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है तथा इस वेबसाईट पर पर्यावरण अधिनियम और नियम की जानकारी के साथ - साथ आपको... उन सभी कार्यवाही प्रक्रियाओं की भी जानकारी मिलेगी... जो पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यान्वित है

पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट

पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट
पर्यावरण संरक्षण कार्यवाहियों की निगरानी सूचना का अधिकार आवेदन देकर व्यक्तिगत तौर पर करिए क्योंकि पर्यावरण को प्रदूषित कुछ लोग करते हैं और इस दुष्परिणाम सभी जिव, जंतु और मनुष्यों पर पड़ता है

प्रदुषण के प्रकार जानने के लिए निचे क्लिक करिये

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को फसल की कटाई के मौसम में पराली जलाने को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , पंजाब , हरियाणा , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जिला अधिकारियों को पराली जलाने के मामले में अकर्मण्‍य अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार दिया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को फसल की कटाई के मौसम में पराली जलाने को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभाव के कारण पराली जलाना गंभीर चिंता का विषय है और आयोग पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारों , राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , दिल्‍ली सरकार ,  राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों , पंजाब और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और इससे संबंधित संस्थानों सहित संबंधित हितधारकों के परामर्श से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है। 2021 , 2022 और 2023 के दौरान अनुभवों और सीखों के आधार पर , धान की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने की रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान के...

पद्मजा नायडू हिमालयन चिड़ियाघर ने भविष्य के लिए लाल पांडा आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए संरक्षण को बायोबैंकिंग सुविधा के साथ मजबूत किया

  पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क , दार्जिलिंग के रेड पांडा कंजर्वेशन ब्रीडिंग एंड ऑग्मेंटेशन प्रोग्राम को वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जूज़ एंड एक्वेरियम द्वारा 2024 डब्ल्यूएजेडए कंजर्वेशन एंड एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के लिए शीर्ष तीन फाइनलिस्ट में से एक के रूप में चुना गया है। विजेता की घोषणा 7 नवंबर 2024 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के टारोंगो चिड़ियाघर में 79 वें डब्ल्यूएजेडए वार्षिक सम्मेलन में की जाएगी। 2022 और 2024 के बीच , नौ कैप्टिव-ब्रेड रेड पांडा (सात मादा और दो नर) को पश्चिम बंगाल के सिंगालीला नेशनल पार्क (एसएनपी) में छोड़ा गया। रिहा की गई सात मादाओं में से तीन ने जंगल में पाँच शावकों को जन्म दिया। पीएनएचजेडपी ने पश्चिम बंगाल सरकार के वन्यजीव विंग के साथ मिलकर सिंगालीला नेशनल पार्क और दार्जिलिंग डिवीजन में कई आवास बहाली की पहल की है। पीएनएचजेडपी सीसीएमबी , आईआईएसईआर और डब्ल्यूआईआई जैसे संस्थानों के साथ लाल पांडा से संबंधित कई आंतरिक और सहयोगी शोध कार्य कर रहा है।  पीएनएचजेडपी के संरक्षण प्रयास को इसके बायोबैंकिंग और जेनेटिक रिसोर्स सुविधा से और अधिक मजबूती मिल...

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित, मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली , नए एचपीसी सिस्टम का नाम 'अर्का' और 'अरुणिका' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया , नए एचपीसी सिस्टम का नाम ' अर्का ' और ' अरुणिका ' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है  भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित , मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 850 करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। यह परियोजना विशेष रूप से चरम घटनाओं के लिए अधिक विश्वसनीय और सटीक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग है। यह दो प्रमुख स्थलों पर स्थित है - पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ)।   आईआईटीएम सिस्टम 11.77 पेटा फ्लॉप्स और 33 पेटाबाइट स्टोरेज की प्रभावशाली क्षमता से लैस है , जबकि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ सुविधा में 8.2...

पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण

  पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण स्वच्छ भारत अभियान द्वारा संचालित मंदिरों के अपशिष्ट का पुनर्चक्रण , पुष्पों के माध्यम से नौकरियां और स्थिरता सुनिश्चित कर रहा है   अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण   **** एमजी/एआर/एसके ( रिलीज़ आईडी: 2057278) आगंतुक पटल : 46 प्रविष्टि तिथि: 20 SEP 2024 by PIB Delhi    

बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और पर्यावरण संबंधित नियम कानून को जन सामान्य की जानकारी में लाने वाले अमोल मालुसरे के निवेदन पर विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर कार्यवाही करने के लिए पत्र जारी किया है… पढ़िए एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा का सहभागी कदम…

प्लास्टिक वेस्ट मामले में विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर पर्यावरण संरक्षण के लिए पत्र व्यवहार कर छत्तीसगढ़ राज्य को एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त करने की… शासकीय कार्य योजना में योगदान दिया है… पढ़िए शासकीय आदेश  .......... प्लास्टिक कचरा चर्चा में क्यों?   छत्तीसगढ़ राज्य में सिंगलयूज़ प्लास्टिक के विलोपन के लिये गठित टास्क फोर्स की बैठक विगत वर्ष से मंत्रालय महानदी भवन में संपन्न हो रहीं है… इन बैठकों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत एकल उपयोग प्लास्टिक के विलोपन की कार्ययोजना पर व्यापक चर्चा उपरांत कार्य योजना बनाई गई है । श्रद्धा साहू और साथीगण ने बनवाए है कई बर्तन बैंक जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक में कमी आई है बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और उनकी टीम के प्रमुख तरुण साहू  पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान दे रहें जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा में सभी किं साहभागिता बन रही है  विधायक रिकेश सेन का पत्र विलोपन कार्यवाही के प्रम...

छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान देने वाली समाज सेविका निशा ने पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम सभी पर अपनी धरती माँ को बचाने की जिम्मेदारी है जिससे की हमारी धरती माँ एक साफ़ और सुरक्षित जगह बन सके

पार्यावरण का अंधाधुंध दोहन रोको हम अनावश्यक रूप से पर्यावरण के संसाधनों का उपयोग अंधाधुंध रूप से कर रहे हैं और बदले में हानिकारक रसायनों और प्रदूषण के अलावा कुछ भी नहीं दे रहे । ये परिणाम विश्वभर में पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे रहे हैं विडंबना है कि, मनुष्य अपनी धरती माँ को दूषित, प्रदूषित और अपूर्णीय क्षति पहुँचाने के कई कार्य करता है जैसे वनों की कटाई करता है , जैव विविधता का नुकसान पहुंचता है , वायु प्रदूषण करता है , जहरीले रसायनों के प्रवाह करके नदियों को प्रदूषित करता है , अपशिष्ट पदार्थों को फैलाकर गंदगी करता है , प्लास्टिक कचरा फैलाकर मिटटी की उपजाऊ क्षमता को कमजोर करता है , ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत का कमजोर करने वाली गतिविधियाँ करता है , भूमिगत जल तेल गैस भंडार और प्राकृतिक संसाधन जैसे खनिजों का उत्खनन करके भूगर्भीय संरचना , जहरीले गैसों का विकास , हवा में प्रदूषण , धुंध आदि को बढ़ाने का काम मनुष्य करता है |   विकसित देश वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं के लिए अधिक जिम्मेदार हैं सोचिए कि क्या हम कभी भी ऐसे परिवेश में रहना पसंद करेंगे जो खराब या अस्वस्थ में हो स...