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संसद प्रश्न: - राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान

 संसद प्रश्न: - राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान

सरकार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में प्रस्तुत भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पूरा करने के लिए कई उपाय किए हैं।

समय-समय पर शुरू की गई विभिन्न नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम इन उपायों में शामिल हैं। इनका उद्देश्य अनुकूलन और शमन, दोनों मोर्चों पर भारत की कार्रवाई को बढ़ाना है। स्वच्छ ऊर्जा, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने, ऊर्जा दक्षता में वृद्धि, कार्बन उत्सर्जन में कमी और लचीले शहरी केंद्रों के विकास, अपशिष्ट से धन प्राप्ति को बढ़ावा देने, सुरक्षित, स्मार्ट और सतत हरित परिवहन नेटवर्क, वन और वृक्षावरण बढ़ाकर कार्बन की समस्या से निपटने और कृषि, जल संसाधन, तटीय क्षेत्रों, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन में जलवायु लचीलापन मज़बूत करने के लिए उचित उपाय किए जा रहे हैं। देश की जलवायु कार्रवाई में नागरिकों का योगदान भी शामिल है, 'मिशन लाइफ' (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) के तहत आने वाली गतिविधियां और 'एक पेड़ मां के नाम' जैसी पहल इसमें शामिल हैं।

सरकार जलवायु क्रियाओं के लिए व्यापक रूपरेखा यानि जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) को लागू कर रही है। एनएपीसीसी में सौर ऊर्जा, संवर्धित ऊर्जा दक्षता, जल, कृषि, हिमालयी इको-सिस्टम, सतत आवास, हरित भारत, मानव स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर रणनीतिक ज्ञान के विशिष्ट क्षेत्रों में नौ राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं। सरकार एनएपीसीसी में उल्लिखित रणनीति के अनुरूप, जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजनाओं (एसएपीसीसी) की तैयारी के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) का भी समर्थन कर रही है। एनएपीसीसी के उद्देश्यों का समर्थन करने के लिए, 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने राज्य-विशिष्ट क्रियाओं को संबोधित करने के लिए अपने एसएपीसीसी तैयार किए हैं। एनएपीसीसी के तहत इन सभी मिशन को पेरिस समझौते के तहत भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के साथ संरेखित करने के लिए संशोधित किया गया है

परिणामस्वरूप, देश में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 41 गुना से भी ज़्यादा बढ़ गई है, जो 2014 में 2.82 गीगावाट से बढ़कर जून 2025 में 116.25 गीगावाट हो गई है। देश ने आर्थिक विकास को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से अलग करने की प्रक्रिया को जारी रखा है। 2005 और 2020 के बीच देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत की कमी आई है।

जून 2025 में, देश ने अपनी स्थापित विद्युत क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-परंपरागत ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने के एनडीसी लक्ष्य को प्राप्त करके, ऊर्जा परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है। यह लक्ष्य 2030 की निर्धारित समय-सीमा से पांच वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया गया है। विकसित भारत@2047 लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में यह उपलब्धि जलवायु कार्रवाई और सतत विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धताओं को उल्लेखनीय रूप से दर्शाती है। वैश्विक स्तर पर भारत की यह प्रगति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वाले देशों में से एक होने के साथ-साथ भारत उन गिने-चुने जी20 देशों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो अपने एनडीसी लक्ष्यों को पूरा करने या उससे भी आगे निकलने की राह पर हैं।

 केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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एमजी/केसी/वीके/एसवीप्रविष्टि तिथि: 21 JUL 2025 by PIB Delhi (रिलीज़ आईडी: 2146473) आगंतुक पटल : 51

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