संसदीय प्रश्न:- पेड़ों की अवैध कटाई
वनों और
वृक्षों के कवर का संरक्षण और प्रबंधन मुख्य रूप से राज्य सरकारों/केंद्र शासित
प्रदेशों के प्रशासनों की जिम्मेदारियां हैं। देश में वनों और वृक्षों के आवरण के
संरक्षण और प्रबंधन के लिए कानूनी ढाँचे मौजूद हैं, जिनमें भारतीय
वन अधिनियम, 1927, वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम,
1980, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, राज्य
वन अधिनियम, वृक्ष संरक्षण अधिनियम और उनके तहत बनाए गए नियम
शामिल हैं। पेड़ों की अवैध कटाई के मामलों का पता चलने पर दोषियों के खिलाफ
संबंधित अधिनियमों के तहत सक्षम न्यायालय/प्राधिकरणों के समक्ष कार्रवाई की जाती
है। संबंधित राज्य सरकारें/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन पेड़ों की अवैध कटाई से
संबंधित विवरण रखते हैं।
स्थानीय वन
अधिकारी अवैध रूप से काटे गए पेड़ों का आकलन करते हैं और संबंधित डेटा को संबंधित
राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों
के अनुसार संबंधित वन अपराध रजिस्टरों में रखा जाता है। भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा प्रकाशित इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2023 के अनुसार, आईएसएफआर-2021 में
प्रकाशित आकलन की तुलना में देश में वन क्षेत्र और वृक्ष कवर में क्रमशः 156.41 वर्ग किलोमीटर और 1289.40 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि
हुई है।
पेड़ों की
अवैध कटाई को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं:
·
वन क्षेत्रों में फ्रंट-लाइन वन
कर्मचारियों द्वारा किसी भी अवैध/प्रतबंधित गतिविधि को रोकने के लिए नियमित रूप से
गश्त की जाती है।
·
संवेदनशील और रणनीतिक स्थानों पर गश्त
शिविर/शिकरा रोकने संबंधी चेक पोस्ट स्थापित किए गए हैं।
·
सतर्कता एवं फ्लाइंग स्क्वाड
पार्टियों की तैनाती की जाती है व संवेदनशील क्षेत्रों आदि में नियमित निरीक्षण किया जाता है।
· वन संरक्षण गतिविधियों में समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम, जागरुकता अभियान, शैक्षिक कार्यक्रम आदि लागू किए जा रहे हैं।
यह जानकारी
आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह द्वारा दी गई।
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पीके/एके/केसी/एसके/एसएस
प्रविष्टि तिथि: 28
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