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प्राकृतिक आपदा आने से पहले दी जाने वाली चेतावनी को लेकर उन्नत प्रणाली विकसित की गई है


 संसद प्रश्न: प्राकृतिक आपदा आने से पहले दी जाने वाली चेतावनी को लेकर उन्नत प्रणाली विकसित की गई है

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने चक्रवात, भारी वर्षा और अन्य विषम परिस्थितियों जैसी गंभीर मौसम घटनाओं के लिए उन्नत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित की है। गंभीर मौसम की घटनाओं के लिए प्रारंभिक चेतावनी एक अत्याधुनिक अवलोकन नेटवर्क द्वारा समर्थित है जिसमें सतह, ऊपरी हवा, रिमोट सेंसिंग अवलोकन, उच्च-रिज़ॉल्यूशन गतिशील मॉडल पर आधारित निर्बाध पूर्वानुमान प्रणाली और अलर्ट और चेतावनी उत्पन्न करने के लिए जीआईएस-आधारित उपकरण शामिल हैं। सूचना का समय पर और प्रभावी प्रसार सुनिश्चित करने के लिए संपूर्ण प्रणाली को आधुनिक दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकृत किया गया है।

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य केंद्रों के साथ समन्वय में एक संपूर्ण जीआईएस-आधारित निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) विकसित की है, जो चक्रवातों और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से नियमित रूप से प्रभावित होने वाले राज्यों सहित पूरे देश में सभी मौसम संबंधी खतरों का समय पर पता लगाने और निगरानी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के अग्रिम छोर के रूप में काम कर रही है। यह विशिष्ट गंभीर मौसम मॉड्यूलों से समर्थित है, जो चक्रवात, भारी वर्षा आदि जैसी विषम मौसम घटनाओं के लिए समय पर प्रभाव-आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करता है। यह प्रणाली ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करती है, जिसमें विषम घटनाएं भी शामिल हैं, साथ ही भारतीय क्षेत्र और इसके पड़ोसी क्षेत्रों के लिए उपलब्ध वास्तविक समय की सतह और ऊपरी हवा के मौसम संबंधी अवलोकन भी शामिल हैं। इसमें हर 10 मिनट पर उपलब्ध रडार अवलोकन और हर 15 मिनट पर उपलब्ध उपग्रह परिणाम भी शामिल हैं। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संस्थानों में संचालित मॉडलों के समूह से संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान परिणामों का भी उपयोग करता है। इनमें अति-स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मॉडल शामिल हैं। इसके अलावा आईएमडी अपने उन्नत अवलोकन नेटवर्क और पूर्वानुमान प्रणालियों के माध्यम से जान-माल की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के साथ सहयोग से समय पर तैयारी और प्रतिक्रिया संभव हो पाती है। यह समन्वित दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि मौसम संबंधी सटीक और समय पर जानकारी संस्थाओं और लोगों तक पहुंचे, जिससे देश भर में आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रयासों को बढ़ावा मिले।

 वर्तमान में विश्व में कहीं भी ऐसी कोई वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध नहीं है जो समय, स्थान और परिणाम के संदर्भ में भूकंप की सटीक भविष्यवाणी कर सके। इसलिए देश में भूकंप की पूर्व चेतावनी देने के लिए कोई प्रमाणित प्रणाली मौजूद नहीं है। हालांकि, मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र (एनसीएस) अपने भूकंपीय नेटवर्क के माध्यम से देश में और इसके आसपास आने वाले भूकंपों की निगरानी कर रहा है तथा तीव्रता मानचित्र के साथ भूकंप की घटना के बारे में जानकारी प्रदान करता है। ये विवरण एनसीएस-एमओईएस वेबसाइट, ऐप, एसएमएस, फैक्स, ईमेल, वॉट्सऐप, एक्स और फेसबुक के माध्यम से विभिन्न आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों, अन्य हितधारकों और जनता को यथाशीघ्र उपलब्ध करा दिए जाते हैं।

केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) को चिन्हित स्थानों पर संबंधित राज्य सरकारों को 24 घंटे तक के समय के साथ लघु अवधि के बाढ़ पूर्वानुमान जारी करने का अधिकार दिया गया है। एक निश्चित सीमा तक पहुंचने पर समय पर बाढ़ पूर्वानुमान जारी किए जा रहे हैं।

आईएमडी ने समय-समय पर पूरे देश के लिए नई तकनीकों और प्रौद्योगिकी को अपनाया है। इसमें चक्रवात, भारी वर्षा आदि सभी प्रकार की मौसम की घटनाओं से नियमित रूप से प्रभावित होने वाले राज्य भी शामिल हैं, जिनका मानव जीवन, आजीविका और बुनियादी ढांचे पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।

इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है :

·        अतिरिक्त एडब्ल्यूएस, एआरजी और डीडब्ल्यूआर आदि की स्थापना के साथ अवलोकन प्रणाली को मजबूत करना।

·        डेटा एकीकरण में सुधार और जीआईएस आधारित डीएसएस का विकास।

·        एनडब्ल्यूपी मॉडल और जलवायु मॉडल में सुधार, साथ ही वास्तविक समय की निर्बाध निगरानी, पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी प्रणाली।

·        पारंपरिक मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी से क्षेत्र-विशिष्ट रंग-कोडित प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान (आईबीएफ) और जोखिम-आधारित चेतावनी (आरबीडब्ल्यू) को गतिशील प्रभाव और जोखिम मैट्रिक्स के साथ जिला/उप-शहर के स्तर तक स्थानांतरित करना।

·        एआई/एमएल का अनुप्रयोग।

·        बुलेटिनों और चेतावनियों का अनुकूलन।

·        प्रक्रिया समझ और मॉडल भौतिकी में सुधार के साथ-साथ विशाल डेटा को एकीकृत करने और मेसो-स्केल, क्षेत्रीय और वैश्विक मॉडल को और अधिक उच्च रिज़ॉल्यूशन पैमाने पर चलाने के लिए कम्प्यूटेशनल शक्ति में पर्याप्त वृद्धि।

·        पंचायत मौसम सेवा।

·        मोबाइल ऐप, कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल (सीएपी), वॉट्सऐप ग्रुप आदि के उपयोग के साथ एक अत्याधुनिक प्रसार प्रणाली।

·        हाल ही में भारत को 'मौसम-तैयार और जलवायु-स्मार्ट' राष्ट्र बनाने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना, 'मिशन मौसम' शुरू की गई है।

आईएमडी आम लोगों और संबंधित हितधारकों को लगातार समय पर अलर्ट और पूर्वानुमान जारी करता है। संवेदनशील आबादी तक चेतावनियों का प्रभावी प्रसार सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। आईएमडी की मौसम संबंधी जानकारी, जिसमें जनता के लिए अलर्ट और चेतावनियाँ शामिल हैं, विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रदान की जाती है :

·        मास मीडिया: रेडियो/टीवी, समाचार पत्र नेटवर्क (एएम, एफएम, सामुदायिक रेडियो, निजी टीवी), प्रसार भारती और निजी प्रसारणकर्ता।

·        साप्ताहिक एवं दैनिक मौसम वीडियो।

·        इंटरनेट (ईमेल), एफटीपी।

·        सार्वजनिक वेबसाइट (mausam.imd.gov.in)

·        आईएमडी ऐप्स: मौसम/मेघदूत/दामिनी/रेन अलार्म।

·        सोशल मीडिया: फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, ब्लॉग।

  1. X: : https://twitter.com/Indiametdept
  1. ब्लॉग:  https://imdweather1875.wordpress.com/
  1. यूट्यूब:   https://www.youtube.com/channel/UC_qxTReoq07UVARm87CuyQw

आईएमडी ने तेरह सबसे खतरनाक मौसम संबंधी घटनाओं के लिए एक वेब-आधारित ऑनलाइन 'भारत का जलवायु खतरा और अतिसंवेदनशी मानचित्रावली' भी तैयार किया है, जो व्यापक क्षति और आर्थिक, मानवीय और पशु हानि का कारण बनता है। इसे   https://imdpune.gov.in/hazardatlas/abouthazard.html पर देखा जा सकता है। यह एटलस राज्य सरकार की संस्थाओं और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को हॉटस्पॉट की पहचान करने तथा विषम मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए योजना बनाने और उचित कार्रवाई करने में मदद करेगा। यह उत्पाद जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीला बुनियादी ढांचा बनाने में मदद करता है।

आईएमडी ने आम लोगों के उपयोग के लिए 'उमंग' मोबाइल ऐप के साथ अपनी सात सेवाएं (वर्तमान मौसम, नाउकास्ट, शहर पूर्वानुमान, वर्षा सूचना, पर्यटन पूर्वानुमान, चेतावनी और चक्रवात) शुरू की हैं। इसके अलावा, आईएमडी ने मौसम पूर्वानुमान के लिए 'मौसम', कृषि मौसम संबंधी सलाह के प्रसार के लिए 'मेघदूत' और बिजली की चेतावनी के लिए 'दामिनी' नामक मोबाइल ऐप विकसित किया है। एनडीएमए की ओर से विकसित कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल (सीएपी) को भी आईएमडी द्वारा चेतावनियों के प्रसार के लिए क्रियान्वित किया जा रहा है।

 सीडब्ल्यूसी ने बाढ़ की चेतावनियों तक अधिकतम पहुंच बनाने के लिए विभिन्न प्रसार तंत्रों को अपनाकर कई कदम उठाए हैं, ताकि राज्य सरकारों, एसडीएमए, एनडीएमए और जनता द्वारा राहत उपायों को अपनाया जा सके। इसके अलावा, देश में बाढ़ की स्थिति से संबंधित जानकारी और मोबाइल फोन के माध्यम से जनता तक वास्तविक समय के आधार पर 7 दिनों तक के बाढ़ पूर्वानुमान का प्रसार करने के उद्देश्य से, सीडब्ल्यूसी द्वारा 'फ्लडवॉच इंडिया' मोबाइल एप्लिकेशन का संस्करण 2.0 विकसित किया गया है, जो देश भर में बाढ़ की स्थिति के बारे में तात्कालिक जानकारी प्रदान करता है। इसके अलावा यह देश के 150 प्रमुख जलाशयों की भंडारण स्थिति के बारे में अतिरिक्त जानकारी भी प्रदान करता है। इससे उनके निचले क्षेत्रों में संभावित बाढ़ की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। 'फ्लडवॉच इंडिया' ऐप डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में वैश्विक चक्रवात आवृत्ति का लगभग 7% हिस्सा आता है। हालांकि, इसने कुछ सबसे घातक चक्रवातों को भी देखा है। 1999 के ओडिशा सुपर साइक्लोन के कारण ओडिशा में 10,000 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, पिछले 10 वर्षों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की निगरानी और पूर्वानुमान में व्यापक बदलाव आया है। इसके परिणामस्वरूप किसी भी चक्रवात के कारण होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है। 2023 में गुजरात तट पर चक्रवात बिपरजॉय और 2024 में ओडिशा तट पर चक्रवात दाना आया था, इस कारण कोई हताहत नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग को भी विश्वव्यापी प्रशंसा मिली है। आईएमडी के डीजीएम को आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) के लिए संयुक्त राष्ट्र सासाकावा पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है, जो डीआरआर के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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एमजी/केसी/आरकेजेप्रविष्टि तिथि: 23 JUL 2025 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 2147650) आगंतुक पटल : 52

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पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट

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पर्यावरण संरक्षण कार्यवाहियों की निगरानी सूचना का अधिकार आवेदन देकर व्यक्तिगत तौर पर करिए क्योंकि पर्यावरण को प्रदूषित कुछ लोग करते हैं और इस दुष्परिणाम सभी जिव, जंतु और मनुष्यों पर पड़ता है

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