सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बैटरियों के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था

संसद प्रश्न: बैटरियों के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ&सीसी), भारत सरकार ने बेकार बैटरियों के पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित प्रबंधन हेतु 24 अगस्त, 2022 को बैटरी कचरा प्रबंधन नियम, 2022 प्रकाशित किए। ये नियम सभी प्रकार की बैटरियों, जैसे इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों, पोर्टेबल बैटरियों, ऑटोमोटिव बैटरियों और औद्योगिक बैटरियों, पर लागू होते हैं।

ये नियम विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) की अवधारणा पर आधारित हैं, जिसके अंतर्गत बैटरियों के आयातकों सहित सभी उत्पादकों को बाज़ार में उपलब्ध बैटरियों के विरुद्ध बेकार बैटरियों के संग्रहण, पुनर्चक्रण या नवीनीकरण के लिए वार्षिक लक्ष्य दिए गए हैं। इन नियमों के अनुसार, उत्पादकों को वित्त वर्ष 2027-28 से नई बैटरियों के निर्माण में न्यूनतम प्रतिशत घरेलू पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग करना अनिवार्य है।

उत्पादकों और पुनर्चक्रणकर्ताओं/नवीनीकरणकर्ताओं के पंजीकरण, उत्पादकों और पुनर्चक्रणकर्ताओं/नवीनीकरणकर्ताओं के बीच ईपीआर प्रमाणपत्रों के आदान-प्रदान और उत्पादकों और पुनर्चक्रणकर्ताओं/नवीनीकरणकर्ताओं द्वारा रिटर्न दाखिल करने के लिए एक केन्‍द्रीकृत ऑनलाइन ईपीआर पोर्टल विकसित किया गया है। अब तक, इन नियमों के तहत 3664 उत्पादकों और 442 पुनर्चक्रणकर्ताओं को पंजीकृत किया जा चुका है। उत्पादकों ने 10.96 लाख मीट्रिक टन के ईपीआर लक्ष्य के मुकाबले पुनर्चक्रणकर्ताओं से 7.29 लाख मीट्रिक टन प्रमुख बैटरी धातुओं के ईपीआर प्रमाणपत्र प्राप्त किए हैं।

बैटरी कचरा प्रबंधन नियम, 2022 के अंतर्गत ईपीआर तंत्र केवल पंजीकृत पुनर्चक्रणकर्ताओं द्वारा जारी ईपीआर प्रमाणपत्रों को ही मान्यता देता है। ईपीआर तंत्र, पुनर्चक्रित सामग्रियों की बिक्री से प्राप्त राजस्व के अतिरिक्त, उत्पादकों के साथ ईपीआर प्रमाणपत्रों के आदान-प्रदान से राजस्व अर्जित करने के लिए अनौपचारिक क्षेत्र के औपचारिकीकरण को प्रोत्साहित करता है।

अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक मूल्य श्रृंखला में उन्नत करने के लिए, 'सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्लस्टर विकास (एमएसई-सीडीपी) एमएसएमई योजना के अंतर्गत रीसाइक्लिंग क्लस्टरों के गठन के साथ अनौपचारिक क्षेत्र क्षमता निर्माण उन्नयन' पर एक परियोजना एमईआईटीवाई द्वारा शुरू की गई है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘प्रमोट सर्कुलरिटी अभियान’ के तहत मिशन लाइफ के एक भाग के रूप में कई रीसाइक्लिंग उद्योगों और स्टार्ट-अप्स को इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी सामग्री केन्‍द्र (सी-मेट) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित लागत प्रभावी ली-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग तकनीक हस्तांतरित की है।

सरकार ने मई 2021 में 50 गीगावाट घंटा एसीसी क्षमता के लिए 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पीएलआई-एसीसी योजना ‘उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम’ को मंजूरी दी है।

इस पहल ने भारतीय सेल निर्माताओं के लिए सेल विनिर्माण इकाई स्थापित करने हेतु उत्प्रेरक का काम किया है। पीएलआई लाभार्थियों के अलावा, 10 से अधिक कंपनियों ने 100 गीगावाट घंटे से अधिक अतिरिक्त क्षमता के लिए सेल विनिर्माण इकाई स्थापित करने की घोषणा की है।

इसके अलावा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अत्याधुनिक रीसाइक्लिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना, घरेलू अपशिष्ट रीसाइक्लिंग का समर्थन करने और उन्नत रीसाइक्लिंग प्रक्रियाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और तकनीकी सहायता की सुविधा के लिए 10 दिसंबर, 2024 को सीएसआईआर प्रयोगशालाओं और रीसाइक्लिंग संगठनों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की सुविधा प्रदान की।

यह जानकारी केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

*****

पीके/केसी/केपी प्रविष्टि तिथि: 21 AUG 2025 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 2159848) आगंतुक पटल : 23

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है
पर्यावरण नियमों का अनुपालन नहीं करने के आरोपी लोगों को दण्डित किये जाने की क़ानूनी प्रक्रिया और वर्त्तमान में लागु प्रावधान भी इस वेबसाइट पर प्रकाशित है - इसलिए इस वेब साईट से जानकारी लीजिये और पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यवहारिक तौर पर संभव होने वाली क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण का प्रयास कीजिये

जानिए - पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक क़ानूनी उपाय! जिनका प्रयोग करना पर्यावरण संरक्षण हेतु जरुरी है

जानिए - पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक क़ानूनी उपाय! जिनका प्रयोग करना पर्यावरण संरक्षण हेतु जरुरी है
इस वेबसाइट पर उपलब्ध है "पर्यावरण विधि का संकलन" - उल्लेखनीय है कि, हमारी जीवन दायिनी वसुंधरा के संरक्षण के लिए भारत गणराज्य द्वारा अधिनियमित प्रावधानों व नियमों का संक्षिप्त परिचय और विचारणीय पहलुओं को संकलित कर इस वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है तथा इस वेबसाईट पर पर्यावरण अधिनियम और नियम की जानकारी के साथ - साथ आपको... उन सभी कार्यवाही प्रक्रियाओं की भी जानकारी मिलेगी... जो पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यान्वित है

पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट

पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट
पर्यावरण संरक्षण कार्यवाहियों की निगरानी सूचना का अधिकार आवेदन देकर व्यक्तिगत तौर पर करिए क्योंकि पर्यावरण को प्रदूषित कुछ लोग करते हैं और इस दुष्परिणाम सभी जिव, जंतु और मनुष्यों पर पड़ता है

प्रदुषण के प्रकार जानने के लिए निचे क्लिक करिये

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को फसल की कटाई के मौसम में पराली जलाने को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , पंजाब , हरियाणा , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जिला अधिकारियों को पराली जलाने के मामले में अकर्मण्‍य अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार दिया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को फसल की कटाई के मौसम में पराली जलाने को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभाव के कारण पराली जलाना गंभीर चिंता का विषय है और आयोग पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारों , राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , दिल्‍ली सरकार ,  राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों , पंजाब और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और इससे संबंधित संस्थानों सहित संबंधित हितधारकों के परामर्श से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है। 2021 , 2022 और 2023 के दौरान अनुभवों और सीखों के आधार पर , धान की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने की रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान के...

पद्मजा नायडू हिमालयन चिड़ियाघर ने भविष्य के लिए लाल पांडा आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए संरक्षण को बायोबैंकिंग सुविधा के साथ मजबूत किया

  पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क , दार्जिलिंग के रेड पांडा कंजर्वेशन ब्रीडिंग एंड ऑग्मेंटेशन प्रोग्राम को वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जूज़ एंड एक्वेरियम द्वारा 2024 डब्ल्यूएजेडए कंजर्वेशन एंड एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के लिए शीर्ष तीन फाइनलिस्ट में से एक के रूप में चुना गया है। विजेता की घोषणा 7 नवंबर 2024 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के टारोंगो चिड़ियाघर में 79 वें डब्ल्यूएजेडए वार्षिक सम्मेलन में की जाएगी। 2022 और 2024 के बीच , नौ कैप्टिव-ब्रेड रेड पांडा (सात मादा और दो नर) को पश्चिम बंगाल के सिंगालीला नेशनल पार्क (एसएनपी) में छोड़ा गया। रिहा की गई सात मादाओं में से तीन ने जंगल में पाँच शावकों को जन्म दिया। पीएनएचजेडपी ने पश्चिम बंगाल सरकार के वन्यजीव विंग के साथ मिलकर सिंगालीला नेशनल पार्क और दार्जिलिंग डिवीजन में कई आवास बहाली की पहल की है। पीएनएचजेडपी सीसीएमबी , आईआईएसईआर और डब्ल्यूआईआई जैसे संस्थानों के साथ लाल पांडा से संबंधित कई आंतरिक और सहयोगी शोध कार्य कर रहा है।  पीएनएचजेडपी के संरक्षण प्रयास को इसके बायोबैंकिंग और जेनेटिक रिसोर्स सुविधा से और अधिक मजबूती मिल...

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित, मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली , नए एचपीसी सिस्टम का नाम 'अर्का' और 'अरुणिका' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया , नए एचपीसी सिस्टम का नाम ' अर्का ' और ' अरुणिका ' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है  भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित , मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 850 करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। यह परियोजना विशेष रूप से चरम घटनाओं के लिए अधिक विश्वसनीय और सटीक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग है। यह दो प्रमुख स्थलों पर स्थित है - पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ)।   आईआईटीएम सिस्टम 11.77 पेटा फ्लॉप्स और 33 पेटाबाइट स्टोरेज की प्रभावशाली क्षमता से लैस है , जबकि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ सुविधा में 8.2...

पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण

  पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण स्वच्छ भारत अभियान द्वारा संचालित मंदिरों के अपशिष्ट का पुनर्चक्रण , पुष्पों के माध्यम से नौकरियां और स्थिरता सुनिश्चित कर रहा है   अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण   **** एमजी/एआर/एसके ( रिलीज़ आईडी: 2057278) आगंतुक पटल : 46 प्रविष्टि तिथि: 20 SEP 2024 by PIB Delhi    

बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और पर्यावरण संबंधित नियम कानून को जन सामान्य की जानकारी में लाने वाले अमोल मालुसरे के निवेदन पर विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर कार्यवाही करने के लिए पत्र जारी किया है… पढ़िए एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा का सहभागी कदम…

प्लास्टिक वेस्ट मामले में विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर पर्यावरण संरक्षण के लिए पत्र व्यवहार कर छत्तीसगढ़ राज्य को एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त करने की… शासकीय कार्य योजना में योगदान दिया है… पढ़िए शासकीय आदेश  .......... प्लास्टिक कचरा चर्चा में क्यों?   छत्तीसगढ़ राज्य में सिंगलयूज़ प्लास्टिक के विलोपन के लिये गठित टास्क फोर्स की बैठक विगत वर्ष से मंत्रालय महानदी भवन में संपन्न हो रहीं है… इन बैठकों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत एकल उपयोग प्लास्टिक के विलोपन की कार्ययोजना पर व्यापक चर्चा उपरांत कार्य योजना बनाई गई है । श्रद्धा साहू और साथीगण ने बनवाए है कई बर्तन बैंक जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक में कमी आई है बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और उनकी टीम के प्रमुख तरुण साहू  पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान दे रहें जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा में सभी किं साहभागिता बन रही है  विधायक रिकेश सेन का पत्र विलोपन कार्यवाही के प्रम...

छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान देने वाली समाज सेविका निशा ने पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम सभी पर अपनी धरती माँ को बचाने की जिम्मेदारी है जिससे की हमारी धरती माँ एक साफ़ और सुरक्षित जगह बन सके

पार्यावरण का अंधाधुंध दोहन रोको हम अनावश्यक रूप से पर्यावरण के संसाधनों का उपयोग अंधाधुंध रूप से कर रहे हैं और बदले में हानिकारक रसायनों और प्रदूषण के अलावा कुछ भी नहीं दे रहे । ये परिणाम विश्वभर में पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे रहे हैं विडंबना है कि, मनुष्य अपनी धरती माँ को दूषित, प्रदूषित और अपूर्णीय क्षति पहुँचाने के कई कार्य करता है जैसे वनों की कटाई करता है , जैव विविधता का नुकसान पहुंचता है , वायु प्रदूषण करता है , जहरीले रसायनों के प्रवाह करके नदियों को प्रदूषित करता है , अपशिष्ट पदार्थों को फैलाकर गंदगी करता है , प्लास्टिक कचरा फैलाकर मिटटी की उपजाऊ क्षमता को कमजोर करता है , ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत का कमजोर करने वाली गतिविधियाँ करता है , भूमिगत जल तेल गैस भंडार और प्राकृतिक संसाधन जैसे खनिजों का उत्खनन करके भूगर्भीय संरचना , जहरीले गैसों का विकास , हवा में प्रदूषण , धुंध आदि को बढ़ाने का काम मनुष्य करता है |   विकसित देश वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं के लिए अधिक जिम्मेदार हैं सोचिए कि क्या हम कभी भी ऐसे परिवेश में रहना पसंद करेंगे जो खराब या अस्वस्थ में हो स...