रिपोर्ट के अनुसार, 38 प्रतिशत डेटा स्रोत सरकारी एजेंसियों से हैं और शेष 62 प्रतिशत डेटा अन्य एजेंसियों से प्राप्त हैं। विश्लेषण के लिए उपयोग किए गए डेटा में कम लागत वाले सेंसर (एलसीएस) से प्राप्त डेटा शामिल है, जिसका उपयोग नियामक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता है। विभिन्न मॉनिटरों और डेटा स्रोतों (कम लागत वाले सेंसर) से प्राप्त डेटा में कुछ हद तक त्रुटि/अनिश्चितता हो सकती है। रिपोर्ट में देश की रैंकिंग के लिए प्रयुक्त जनसंख्या भारित औसत की गणना निगरानी केंद्रों से प्राप्त शहर-केंद्रित डेटा के आधार पर की जाती है।आंकड़ों में उपरोक्त सीमाओं और अनिश्चितताओं को देखते हुए, शहरों और देशों की रैंकिंग सही तस्वीर पेश नहीं कर सकती है और भ्रामक हो सकती है।
वायु प्रदूषण
से होने वाली मौतों का सीधा संबंध स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक आंकड़े उपलब्ध
नहीं हैं। वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और उससे जुड़ी बीमारियों को
प्रभावित करने वाले कई कारकों में से एक है। स्वास्थ्य पर पर्यावरण के अलावा कई
कारकों का प्रभाव पड़ता है,
जिनमें खान-पान की आदतें, व्यावसायिक आदतें,
सामाजिक-आर्थिक स्थिति, चिकित्सा इतिहास,
रोग प्रतिरोधक क्षमता, आनुवंशिकता आदि शामिल
हैं।
पर्यावरण
क्षतिपूर्ति (ईसी) निधि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा जारी निर्देशों के
अनुपालन में एकत्रित की जाती है।
अब तक, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ईसी खाते में कुल 620.6 करोड़
रुपये जमा हो चुके हैं, जिसमें 99.51
करोड़ रुपये का बैंक ब्याज शामिल है। इसमें से 80.82 करोड़
रुपये का उपयोग किया जा चुका है, जबकि 138.38 करोड़ रुपये 24 स्वीकृत परियोजनाओं और चल रही
गतिविधियों के लिए प्रतिबद्ध हैं। शेष राशि 401.4 करोड़
रुपये है और इसमें से 284.18 करोड़ रुपये विचाराधीन खातों
में रखे गए हैं, यानी 184.18 करोड़
रुपये 23 विशिष्ट-उद्देश्य खातों में और 100 करोड़ रुपये राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशानुसार सावधि जमा (एफडी)
में हैं। वर्तमान में 117.22 करोड़ रुपये उपयोग के लिए
उपलब्ध हैं। ओए संख्या 638/2023 के मामले में राष्ट्रीय हरित
अधिकरण के 21 जनवरी, 2025 के आदेश के
बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण ईसी फंड का उपयोग रोक दिया गया है।
18 जून, 2025 तक ईपीसी निधि खाते में कुल 527.91 करोड़ रुपये जमा
हो चुके हैं, जिनमें से 04 जुलाई,
2025 तक 173 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके
हैं, और 222.83 करोड़ रुपये स्वीकृत
परियोजनाओं और गतिविधियों के लिए आवंटित किए गए हैं। शेष 132.08 करोड़ रुपये की धनराशि में से, 54 करोड़ रुपये
एनसीआर के 19 शहरों को गैप फंडिंग सहायता प्रदान करने के लिए
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
दिशानिर्देशों के तहत वित्त वर्ष 2025-26 के लिए
प्रदर्शन अनुदान के रूप में निर्धारित किए गए हैं, जिससे
उपयोग के लिए 78.08 करोड़ रुपये शेष रह गए हैं।
सरकार ने देश
भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप
में 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है। केंद्रीय प्रदूषण
नियंत्रण बोर्ड ने 130 मिलियन से अधिक/गैर-प्राप्ति वाले
शहरों (लगातार पांच वर्षों तक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों
(एनएएक्यूएस) से अधिक वाले शहरों) की पहचान की है। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए
इन सभी 130 गैर-प्राप्ति वाले/मिलियन से अधिक शहरों में
कार्यान्वयन के लिए शहर-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं तैयार और लागू की गई
हैं।
ये
शहर-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं शहर-विशिष्ट वायु प्रदूषण स्रोतों जैसे
मिट्टी और सड़क की धूल,
वाहन, घरेलू ईंधन, एमएसडब्ल्यू
जलाना, निर्माण सामग्री और उद्योगों को लक्षित करती हैं,
जिनमें अल्पकालिक प्राथमिकता वाली कार्रवाई के साथ-साथ संबंधित
एजेंसियों के साथ मध्यम से लंबी समय सीमा में कार्यान्वयन किया जाना है।
राष्ट्रीय
स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत शहरों में किए गए स्रोत विभाजन (एसए)
अध्ययनों से पता चलता है कि सड़क और निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों से निकलने
वाली धूल पीएम10 के प्रमुख स्रोत हैं, और अधिकांश शहरों में इनकी
हिस्सेदारी लगभग 40-50 प्रतिशत है। शहरों ने राष्ट्रीय
स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शहरी कार्य योजनाओं के तहत सड़क सुधार कार्यों, यातायात भीड़भाड़ कम करने, जंक्शनों में सुधार और
खुले स्थानों को हरा-भरा बनाने को प्राथमिकता दी है।
यह कार्यक्रम वायु प्रदूषण से निपटने के लिए व्यापक और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाता है। यह उद्योगों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, खुले में कचरा जलाने, सड़क की धूल, निर्माण एवं विध्वंस (सीएंडडी) गतिविधियों जैसे प्रमुख प्रदूषण स्रोतों को लक्षित करता है।औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में कार्रवाई मुख्य रूप से उद्योगों द्वारा की जाती है और औद्योगिक उत्सर्जन मानदंडों की निगरानी एवं प्रवर्तन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत सहमति तंत्र के माध्यम से किया जाता है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए, सरकार ने बीएस-IV से आगे बढ़ते हुए ईंधन के लिए बीएस-VI उत्सर्जन मानदंड अधिसूचित किए हैं। केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए पीएम ई-ड्राइव और पीएम-ई-बस सेवा जैसी योजनाएं शुरू की हैं।
कृषि
क्षेत्रों में बायोमास जलाने पर नियंत्रण के लिए, केंद्रीय
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने धान की पराली आधारित पेलेटीकरण और टोरीफ़ेक्शन
संयंत्रों की स्थापना हेतु एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु दिशानिर्देश
तैयार किए हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला संबंधी समस्याओं और
उत्तरी क्षेत्र में कृषि क्षेत्रों में धान की पराली को खुले में जलाने की समस्या
का समाधान करने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के
क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित ताप विद्युत संयंत्रों और राष्ट्रीय राजधानी
क्षेत्र में स्थित औद्योगिक इकाइयों के कैप्टिव पावर प्लांटों में कोयले के साथ 5-10 प्रतिशत बायोमास को सह-जलाए जाने के निर्देश भी जारी किए हैं।
अनुमोदित शहर
कार्य योजनाओं की गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना 'प्रदूषण नियंत्रण' और 15वें
वित्त आयोग (एक्सवीएफसी) वायु गुणवत्ता अनुदान के माध्यम से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु
कार्यक्रम के तहत 130 गैर-प्राप्ति शहरों/मिलियन से अधिक
शहरों के शहरी स्थानीय निकायों को प्रदर्शन आधारित अनुदान जारी किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय
स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने
के लिए विभिन्न गतिविधियों को लागू करने हेतु वित्त वर्ष 2019-20 से आज तक (20 जुलाई, 2025) 130 मिलियन से अधिक और गैर-प्राप्ति शहरों को कुल 13036.52 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिनमें से 9209.44 करोड़ रुपये शहरी स्थानीय निकायों द्वारा उपयोग किए गए हैं।
केन्द्रीय
पर्यावरण,
वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
एमजी/एके/केसी/एचएन/केके प्रविष्टि तिथि: 24 JUL 2025 by PIB Delhi (रिलीज़ आईडी: 2148309)
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