सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया

 

प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 30 सितंबर, 2021 से प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन तक कर दी गई है |

विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व से संबंधित दिशानिर्देश को कानूनी शक्ति प्रदान की गई केन्द्रीय सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के आह्वान के अनुरूप, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्थलीय एवं जलीय इकोसिस्टम पर बिखरे हुए प्लास्टिक के कचरे के प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित कर दिया है । यह नियम वर्ष 2022 तक कम उपयोगिता और कचरे के रूप में बिखरने की अधिक क्षमता रखने वाली एकल उपयोग की प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करता है ।

प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को रोकना जरुरी है एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की वजह से होने वाला प्रदूषण सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती बन गया है । भारत एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है । वर्ष 2019 में आयोजित चौथे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, वैश्विक समुदाय के सामने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से जुड़े बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित करने की तत्काल जरूरत को स्वीकार करते हुए भारत ने इस प्रदूषण से निपटने से संबंधित एक प्रस्ताव पेश किया था । यूएनईए-4 में इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था ।

पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन समेत अन्य प्लास्टिक उत्पादों पर लगा प्रतिबंध 1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन समेत निम्नलिखित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है : -

प्रतिबंधित वस्तुओं की सूचि :-

1)   प्लास्टिक की छड़ियों से लैस ईयर बड्स,

2)   गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ियां,

3)   प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ियां,

4)   आइसक्रीम की छड़ियां,

5)   सजावट के लिए पॉलीस्टीरीन [थर्मोकोल];

6)   प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलरी,

7)   मिठाई के डिब्बों के चारों ओर लपेटी जाने या पैकिंग करने वाली फिल्म,

8)   निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट,

9)   100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, स्टिरर।

प्लास्टिक कैरी का दोबारा उपयोग भी संभव होगा हल्के वजन वाले प्लास्टिक कैरी बैग की वजह से फैलने वाले कचरे को रोकने के लिए 30 सितंबर, 2021 से प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन कर दी गई है । मोटाई में इस वृद्धि के कारण प्लास्टिक कैरी का दोबारा उपयोग भी संभव होगा ।

अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन विषय को महत्त्व देने की कार्यवाही संभव हुयी है :- प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट, जिसे चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के चरण के तहत कवर नहीं किया गया है, ऐसी वस्तुओं को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुरूप निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक (पीआईबीओ) की विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व के जरिए पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ तरीके से एकत्र और प्रबंधित किया जाएगा । विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व के कारगर कार्यान्वयन के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व से संबंधित दिशानिर्देशों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 के जरिए कानूनी शक्ति प्रदान की गई है ।

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों का तालमेल बनाया जा रहा है :- स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से राज्यों / केन्द्र - शासित प्रदेशों में अपशिष्ट प्रबंधन के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कार्यान्वयन को मजबूत करने और चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग को कम करने के लिए भी निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :-

  • राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का उन्मूलन करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन के लिए एक विशेष कार्यबल गठित करने का आग्रह किया गया है । मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर भी एक कार्यबल गठित किया गया है, जोकि चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का उन्मूलन करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन के लिए समन्वित प्रयास करता है। 
  • राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों और संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों / विभागों से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उन्मूलन और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन और इस कार्यान्वयन को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना बनाने का अनुरोध किया गया है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत सभी राज्यों/केन्द्र - शासित प्रदेशों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पीडब्लूएम) नियम, 2016 के प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित करने के निर्देश जारी किए गए हैं । 
  • सरकार एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का उन्मूलन करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए भी कदम उठा रही है । दो महीने की अवधि वाला एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से संबंधित जागरूकता अभियान आयोजित किया जा रहा है । मंत्रालय ने देश में स्कूली छात्रों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए इस विषय पर अखिल भारतीय निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की है । 
  • एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के विकल्प के विकास और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े डिजिटल समाधानों में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए, स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थानों और स्टार्टअप के छात्रों के लिए इंडिया प्लास्टिक चैलेंज - हैकाथॉन 2021 का आयोजन किया गया था । 

 

संदर्भ सूत्र :- प्रविष्टि तिथि: 13 AUG 2021 3:38PM by PIB Delhi एमजी / एएम / आर / डीए (रिलीज़ आईडी: 1745538)

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है

पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की प्रक्रिया भी इस वेब साईट पर प्रकाशित है
पर्यावरण नियमों का अनुपालन नहीं करने के आरोपी लोगों को दण्डित किये जाने की क़ानूनी प्रक्रिया और वर्त्तमान में लागु प्रावधान भी इस वेबसाइट पर प्रकाशित है - इसलिए इस वेब साईट से जानकारी लीजिये और पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यवहारिक तौर पर संभव होने वाली क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण का प्रयास कीजिये

जानिए - पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक क़ानूनी उपाय! जिनका प्रयोग करना पर्यावरण संरक्षण हेतु जरुरी है

जानिए - पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक क़ानूनी उपाय! जिनका प्रयोग करना पर्यावरण संरक्षण हेतु जरुरी है
इस वेबसाइट पर उपलब्ध है "पर्यावरण विधि का संकलन" - उल्लेखनीय है कि, हमारी जीवन दायिनी वसुंधरा के संरक्षण के लिए भारत गणराज्य द्वारा अधिनियमित प्रावधानों व नियमों का संक्षिप्त परिचय और विचारणीय पहलुओं को संकलित कर इस वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है तथा इस वेबसाईट पर पर्यावरण अधिनियम और नियम की जानकारी के साथ - साथ आपको... उन सभी कार्यवाही प्रक्रियाओं की भी जानकारी मिलेगी... जो पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यान्वित है

पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट

पर्यावरण को संरक्षित करने के नियमों की जानकारी देने वाली वेबसाईट
पर्यावरण संरक्षण कार्यवाहियों की निगरानी सूचना का अधिकार आवेदन देकर व्यक्तिगत तौर पर करिए क्योंकि पर्यावरण को प्रदूषित कुछ लोग करते हैं और इस दुष्परिणाम सभी जिव, जंतु और मनुष्यों पर पड़ता है

प्रदुषण के प्रकार जानने के लिए निचे क्लिक करिये

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को फसल की कटाई के मौसम में पराली जलाने को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , पंजाब , हरियाणा , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जिला अधिकारियों को पराली जलाने के मामले में अकर्मण्‍य अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार दिया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को फसल की कटाई के मौसम में पराली जलाने को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभाव के कारण पराली जलाना गंभीर चिंता का विषय है और आयोग पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारों , राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र , दिल्‍ली सरकार ,  राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों , पंजाब और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और इससे संबंधित संस्थानों सहित संबंधित हितधारकों के परामर्श से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है। 2021 , 2022 और 2023 के दौरान अनुभवों और सीखों के आधार पर , धान की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने की रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान के...

पद्मजा नायडू हिमालयन चिड़ियाघर ने भविष्य के लिए लाल पांडा आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए संरक्षण को बायोबैंकिंग सुविधा के साथ मजबूत किया

  पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क , दार्जिलिंग के रेड पांडा कंजर्वेशन ब्रीडिंग एंड ऑग्मेंटेशन प्रोग्राम को वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जूज़ एंड एक्वेरियम द्वारा 2024 डब्ल्यूएजेडए कंजर्वेशन एंड एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के लिए शीर्ष तीन फाइनलिस्ट में से एक के रूप में चुना गया है। विजेता की घोषणा 7 नवंबर 2024 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के टारोंगो चिड़ियाघर में 79 वें डब्ल्यूएजेडए वार्षिक सम्मेलन में की जाएगी। 2022 और 2024 के बीच , नौ कैप्टिव-ब्रेड रेड पांडा (सात मादा और दो नर) को पश्चिम बंगाल के सिंगालीला नेशनल पार्क (एसएनपी) में छोड़ा गया। रिहा की गई सात मादाओं में से तीन ने जंगल में पाँच शावकों को जन्म दिया। पीएनएचजेडपी ने पश्चिम बंगाल सरकार के वन्यजीव विंग के साथ मिलकर सिंगालीला नेशनल पार्क और दार्जिलिंग डिवीजन में कई आवास बहाली की पहल की है। पीएनएचजेडपी सीसीएमबी , आईआईएसईआर और डब्ल्यूआईआई जैसे संस्थानों के साथ लाल पांडा से संबंधित कई आंतरिक और सहयोगी शोध कार्य कर रहा है।  पीएनएचजेडपी के संरक्षण प्रयास को इसके बायोबैंकिंग और जेनेटिक रिसोर्स सुविधा से और अधिक मजबूती मिल...

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित, मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली , नए एचपीसी सिस्टम का नाम 'अर्का' और 'अरुणिका' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया , नए एचपीसी सिस्टम का नाम ' अर्का ' और ' अरुणिका ' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है  भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित , मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 850 करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। यह परियोजना विशेष रूप से चरम घटनाओं के लिए अधिक विश्वसनीय और सटीक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग है। यह दो प्रमुख स्थलों पर स्थित है - पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ)।   आईआईटीएम सिस्टम 11.77 पेटा फ्लॉप्स और 33 पेटाबाइट स्टोरेज की प्रभावशाली क्षमता से लैस है , जबकि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ सुविधा में 8.2...

पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण

  पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण स्वच्छ भारत अभियान द्वारा संचालित मंदिरों के अपशिष्ट का पुनर्चक्रण , पुष्पों के माध्यम से नौकरियां और स्थिरता सुनिश्चित कर रहा है   अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- पुष्प शक्तिः भारत के मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट का रूपांतरण   **** एमजी/एआर/एसके ( रिलीज़ आईडी: 2057278) आगंतुक पटल : 46 प्रविष्टि तिथि: 20 SEP 2024 by PIB Delhi    

बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और पर्यावरण संबंधित नियम कानून को जन सामान्य की जानकारी में लाने वाले अमोल मालुसरे के निवेदन पर विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर कार्यवाही करने के लिए पत्र जारी किया है… पढ़िए एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा का सहभागी कदम…

प्लास्टिक वेस्ट मामले में विधायक रिकेश सेन ने संज्ञान लेकर पर्यावरण संरक्षण के लिए पत्र व्यवहार कर छत्तीसगढ़ राज्य को एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त करने की… शासकीय कार्य योजना में योगदान दिया है… पढ़िए शासकीय आदेश  .......... प्लास्टिक कचरा चर्चा में क्यों?   छत्तीसगढ़ राज्य में सिंगलयूज़ प्लास्टिक के विलोपन के लिये गठित टास्क फोर्स की बैठक विगत वर्ष से मंत्रालय महानदी भवन में संपन्न हो रहीं है… इन बैठकों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत एकल उपयोग प्लास्टिक के विलोपन की कार्ययोजना पर व्यापक चर्चा उपरांत कार्य योजना बनाई गई है । श्रद्धा साहू और साथीगण ने बनवाए है कई बर्तन बैंक जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक में कमी आई है बर्तन बैंक की परिकल्पना को साकार कर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहीं श्रद्धा पुरेंद्र साहू और उनकी टीम के प्रमुख तरुण साहू  पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान दे रहें जिसके कारण एकल उपयोग प्लास्टिक मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा में सभी किं साहभागिता बन रही है  विधायक रिकेश सेन का पत्र विलोपन कार्यवाही के प्रम...

छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योगदान देने वाली समाज सेविका निशा ने पर्यावरण संरक्षण के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम सभी पर अपनी धरती माँ को बचाने की जिम्मेदारी है जिससे की हमारी धरती माँ एक साफ़ और सुरक्षित जगह बन सके

पार्यावरण का अंधाधुंध दोहन रोको हम अनावश्यक रूप से पर्यावरण के संसाधनों का उपयोग अंधाधुंध रूप से कर रहे हैं और बदले में हानिकारक रसायनों और प्रदूषण के अलावा कुछ भी नहीं दे रहे । ये परिणाम विश्वभर में पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे रहे हैं विडंबना है कि, मनुष्य अपनी धरती माँ को दूषित, प्रदूषित और अपूर्णीय क्षति पहुँचाने के कई कार्य करता है जैसे वनों की कटाई करता है , जैव विविधता का नुकसान पहुंचता है , वायु प्रदूषण करता है , जहरीले रसायनों के प्रवाह करके नदियों को प्रदूषित करता है , अपशिष्ट पदार्थों को फैलाकर गंदगी करता है , प्लास्टिक कचरा फैलाकर मिटटी की उपजाऊ क्षमता को कमजोर करता है , ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत का कमजोर करने वाली गतिविधियाँ करता है , भूमिगत जल तेल गैस भंडार और प्राकृतिक संसाधन जैसे खनिजों का उत्खनन करके भूगर्भीय संरचना , जहरीले गैसों का विकास , हवा में प्रदूषण , धुंध आदि को बढ़ाने का काम मनुष्य करता है |   विकसित देश वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं के लिए अधिक जिम्मेदार हैं सोचिए कि क्या हम कभी भी ऐसे परिवेश में रहना पसंद करेंगे जो खराब या अस्वस्थ में हो स...